राजगीर दंगल प्रतियोगिता: हरियाणा से बिहार तक पहलवानों का जमावड़ा

मगध की प्राचीन राजधानी राजगृह (वर्तमान राजगीर) का इतिहास कुश्ती और मल्लयुद्ध की गौरवशाली परंपरा से जुड़ा है। हजारों वर्ष पहले मगध साम्राज्य के राजा जरासंध और पांडवों के बीच हुए ऐतिहासिक मल्लयुद्ध का गवाह यह स्थल आज भी कुश्ती के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाए हुए है। पौराणिक कथा के अनुसार, जरासंध और भीम के बीच 28 दिनों तक चले इस मल्लयुद्ध में भीम ने विजय प्राप्त की थी। इसी परंपरा को सम्मान देने के उद्देश्य से हर साल नालंदा जिले के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल राजगीर में दंगल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।

यह प्रतियोगिता न केवल बिहार, बल्कि मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, झारखंड और अन्य राज्यों के पहलवानों को आकर्षित करती है। राजगीर मकर संक्रांति मेला और राजगीर महोत्सव के दौरान मेला थाना परिसर में आयोजित इस दंगल में देशभर के पहलवान हिस्सा लेते हैं। प्रतियोगिता में विजयी पहलवानों को प्रमाण पत्र और पुरस्कार देकर सम्मानित किया जाता है।
महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
इस दंगल में पुरुषों के साथ-साथ महिला पहलवानों की भागीदारी भी लगातार बढ़ रही है। हरियाणा से आई महिला पहलवान सोनम ने अपनी प्रेरणादायक कहानी साझा करते हुए कहा कि शुरुआती दौर में उन्हें समाज की आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। गांव में अभ्यास के दौरान लोगों की नकारात्मक टिप्पणियों के बावजूद, उन्होंने अपने कठिन परिश्रम और लगन से अपनी पहचान बनाई।
पटना से आई एक अन्य महिला पहलवान ने कहा, “जब पुरुष पहलवानी कर सकते हैं, तो महिलाएं क्यों नहीं?” उन्होंने बताया कि वे कुश्ती के माध्यम से बेहतरीन पहलवानों को टक्कर देती हैं। उन्होंने अन्य लड़कियों से भी अपील की कि वे पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में रुचि लें और अपनी प्रतिभा के बल पर नाम कमाएं।

सशक्तिकरण और खेल प्रतिभा को बढ़ावा
राजगीर दंगल प्रतियोगिता न केवल खेल के क्षेत्र में उभरते पहलवानों को एक मंच प्रदान करती है, बल्कि समाज में महिलाओं की भागीदारी और सशक्तिकरण को भी बढ़ावा देती है। पर्यटन विभाग और स्थानीय समुदाय के सहयोग से आयोजित यह प्रतियोगिता हर साल खेल प्रेमियों और पर्यटकों के लिए एक खास आकर्षण का केंद्र बनती है।
राजगीर की यह प्रतियोगिता भारतीय कुश्ती की परंपरा को जीवित रखने के साथ-साथ नए खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान करती है। यह आयोजन न केवल खेल की भावना का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक बदलाव और महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।
