राजगीर मकर मेला 2025: भव्य तैयारियां, सांस्कृतिक उत्सव और ऐतिहासिक परंपराओं का संगम

बिहार के ऐतिहासिक तीर्थ स्थल राजगीर में इस वर्ष का मकर मेला 2025 भव्य रूप से आयोजित होने जा रहा है। 14 जनवरी से 21 जनवरी तक चलने वाले इस आठ दिवसीय राजकीय मेले के लिए व्यापक तैयारियां शुरू हो गई हैं। नालंदा के जिलाधिकारी शशांक शुभंकर ने मेले के सुचारू संचालन और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए संबंधित अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए हैं।
प्रशासन की प्राथमिकताएं
जिलाधिकारी ने कहा कि मेले में श्रद्धालुओं और पर्यटकों की सुरक्षा और सुविधा सर्वोच्च प्राथमिकता है। प्रशासन का उद्देश्य है कि हर आगंतुक को एक स्मरणीय और सुरक्षित अनुभव प्राप्त हो।
सांस्कृतिक और मनोरंजक कार्यक्रम
मकर मेला 2025 में कई सांस्कृतिक और मनोरंजक कार्यक्रम शामिल किए गए हैं, जिनमें:
- पतंग उत्सव
- दही खाओ प्रतियोगिता
- रंगोली प्रतियोगिता
- कृषि उत्पाद प्रदर्शनी
- दुधारू पशु प्रदर्शनी
- दंगल और एथलेटिक्स प्रतियोगिताएं
इसके अलावा, मेले में स्थानीय व्यापारियों और कलाकारों को अपनी प्रतिभा और उत्पाद प्रदर्शित करने का अवसर मिलेगा। फूड स्टॉल के माध्यम से क्षेत्र की समृद्ध खाद्य संस्कृति को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
राजगीर के कुंडों का महत्व
राजगीर के ऐतिहासिक गर्म जल कुंडों और धाराओं में स्नान का धार्मिक महत्व है। प्रशासन ने इन स्थलों पर सुरक्षा और स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए विशेष उपाय किए हैं। साथ ही, यातायात व्यवस्था, पेयजल आपूर्ति, और भीड़ प्रबंधन पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
मकर मेला की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
1959 में तत्कालीन शिक्षा राज्य मंत्री सुरेंद्र प्रसाद तरुण की पहल पर इस राजकीय मेले की शुरुआत हुई थी। इसका उद्घाटन बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह ने किया था। मेला का अंतरराष्ट्रीय महत्व उस समय और बढ़ गया जब म्यांमार के तत्कालीन प्रधानमंत्री युनो ने इसके दूसरे संस्करण में भाग लिया।
किसानों और स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए विशेष
मकर मेला किसानों और मजदूरों के लिए भी खास है। यहां किसान अपनी फसलों और कृषि उत्पादों की प्रदर्शनी लगाते हैं। राजगीर की प्रसिद्ध लाठी और अन्य कृषि उपकरणों की खरीदारी मेले का प्रमुख आकर्षण है, जिन्हें किसान अपने खेतों में उपयोग करते हैं।
समृद्ध परंपराओं और स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त करेगा मेला
राजगीर मकर मेला 2025 न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र होगा, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था और क्षेत्रीय परंपराओं को भी सशक्त करेगा। यह मेला धार्मिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक दृष्टिकोण से क्षेत्र के विकास में योगदान देने वाला एक महत्वपूर्ण आयोजन है।
