बिहार में शासन–प्रशासन व स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह विफल – भाकपा (माले)

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बिहारशरीफ (नालंदा) : मुजफ्फरपुर जिले के कुढ़नी प्रखंड अंतर्गत जगन्नाथपुर गांव में 10 वर्षीय दलित बच्ची के साथ हुए बर्बर यौन हिंसा और इलाज में हुई लापरवाही के बाद हुई उसकी मौत के खिलाफ भाकपा (माले) और महिला संगठन ऐपवा द्वारा बुधवार को बिहार शरीफ में विरोध मार्च निकाला गया।

यह मार्च पार्टी के जिला कार्यालय, कमरुद्दीनगंज से शुरू होकर LIC ऑफिस, पेट्रोल पंप होते हुए अस्पताल चौराहा तक पहुंचा, जहां यह एक जनसभा में तब्दील हो गया। इस मार्च का नेतृत्व भाकपा (माले) के जिला सचिव सुरेन्द्र राम ने किया।

सरकार की दोहरी विफलता – सुरेन्द्र राम

सभा को संबोधित करते हुए सुरेन्द्र राम ने कहा कि यह घटना बिहार की कानून-व्यवस्था और स्वास्थ्य प्रणाली की पूरी विफलता को उजागर करती है। उन्होंने कहा, “पहली विफलता – एक नाबालिग दलित बच्ची के साथ अमानवीय बलात्कार, और दूसरी – इलाज में की गई आपराधिक लापरवाही।”

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उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे से नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए तत्काल इस्तीफा देने की मांग की। सुरेन्द्र राम ने कहा कि पीएमसीएच जैसे बड़े अस्पताल में पीड़िता को समय पर इलाज नहीं मिलना प्रशासन की संवेदनहीनता को दर्शाता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बिहार की स्वास्थ्य प्रणाली गरीब, दलित और पीड़ित तबकों के प्रति असंवेदनशील और अमानवीय हो चुकी है।

“डबल इंजन सरकार विफल” – बिहारी लाल

विरोध मार्च में शामिल किसान महासभा के जिला सचिव पॉल बिहारी लाल ने कहा, “डबल इंजन वाली सरकार में अपराध, हत्या और बलात्कार जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। सरकार जीरो टॉलरेंस की बात करती है, लेकिन असलियत में वह चुप्पी साधे बैठी है।”

उन्होंने जनता से अपील की कि ऐसी अमानवीय सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकना जरूरी है ताकि राज्य की महिलाएं और बच्चियां सुरक्षित महसूस कर सकें।

प्रशासनिक लापरवाही का आरोप

मार्च में शामिल नेताओं ने बताया कि रेप पीड़िता को मुजफ्फरपुर से पटना रेफर करने में देरी हुई, और पीएमसीएच में भी इलाज घंटों तक शुरू नहीं हो सका। इस दौरान प्रशासन का कोई प्रतिनिधि अस्पताल में मौजूद नहीं था, जो गंभीर प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है।

भयभीत हैं गांव की बच्चियां

घटना के बाद गांव की अन्य बच्चियां स्कूल जाने से डर रही हैं। उन्हें भय है कि उनके साथ भी ऐसी कोई घटना न हो जाए। यह घटना बिहार के तथाकथित “सुशासन” पर करारा तमाचा है।

विरोध में जुटे लोग

विरोध मार्च और सभा में दर्जनों कार्यकर्ता और स्थानीय नागरिक शामिल हुए, जिनमें मकसूदन शर्मा, सुनील कुमार, शैलेश कुमार, सुभाष शर्मा, शिव शंकर प्रसाद, किशोर साव, रेणु देवी, महेन्द्र प्रसाद, अनिल पटेल, रंजु देवी, सोना देवी, उर्मिला देवी, रुकीं देवी, चिंता देवी, बढ़न पासवान और गिरजा देवी प्रमुख रहे।

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