औरंगाबाद: अपहरण मामले में चार को उम्रकैद, 19 साल बाद आया फैसला

औरंगाबाद जिले के व्यवहार न्यायालय में मंगलवार को एडीजे-5 उमेश प्रसाद की अदालत ने 1995 के एक अपहरण के मामले में चार अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके साथ ही सभी पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना नहीं भरने की स्थिति में एक साल की अतिरिक्त सजा होगी।
मामले का पूरा विवरण
एपीपी शिवपूजन प्रजापति ने बताया कि अभियुक्त रामवचन पाल, अनील सिंह, राजेश पासवान और मुनारिक राम को हत्या के इरादे से अपहरण करने का दोषी पाया गया।
शिकायतकर्ता गुप्तेश्वर सिंह ने 24 जुलाई 1995 को ओबरा थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। शिकायत में कहा गया था कि महथु गांव में उनका ईंट-भट्ठा था, जिसकी देखरेख उनका बेटा उमेश कुमार करता था। उसी दिन, एक व्यक्ति ने भट्ठे पर आकर बताया कि ओबरा थाना के छोटा बाबू गुप्तेश्वर और उनके बेटे को बुला रहे हैं।
जब गुप्तेश्वर सिंह अपने बेटे उमेश कुमार के साथ सरसोली गांव पहुंचे, तो एक जीप आकर रुकी। जीप में सवार अभियुक्तों ने उन पर हमला किया, उनके हाथ पीछे बांध दिए और मारपीट की। अभियुक्तों ने धमकी दी कि 24 घंटे के भीतर 50,000 रुपये नहीं दिए गए तो उमेश कुमार की हत्या कर दी जाएगी। इसके बाद वे उमेश कुमार का अपहरण कर ले गए।
थाने में शिकायत और कानूनी प्रक्रिया
गुप्तेश्वर सिंह ने घटना की लिखित शिकायत ओबरा थाना में दर्ज कराई।
आरोप गठन: 20 अप्रैल 1997 को अभियुक्तों पर आरोप तय किए गए।
गिरफ्तारी: 3 दिसंबर 2004 को सभी अभियुक्त जेल भेजे गए।
अन्य अभियुक्त की मृत्यु: इस मामले के एक अन्य अभियुक्त कपूर धोबी की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई।
कोर्ट का फैसला
19 साल तक चली सुनवाई के बाद अदालत ने चारों अभियुक्तों को दोषी करार दिया और उम्रकैद व 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माना नहीं देने पर एक साल की अतिरिक्त सजा होगी।
वकीलों की दलीलें
अभियोजन पक्ष: एपीपी शिवपूजन प्रजापति ने अदालत में अभियुक्तों के खिलाफ ठोस सबूत और गवाह पेश किए।
बचाव पक्ष: बचाव पक्ष के वकील सतीश कुमार स्नेही ने अभियुक्तों को निर्दोष साबित करने की कोशिश की, लेकिन अदालत ने उनकी दलीलें खारिज कर दीं।
न्याय के लिए लंबा इंतजार
19 साल बाद आए इस फैसले ने शिकायतकर्ता और उनके परिवार को न्याय दिलाया। हालांकि, इस मामले ने न्यायिक प्रक्रिया की धीमी गति पर भी सवाल खड़े किए हैं।
