हरनौत प्रखंड के बीपीओ मनीष कुमार की आत्महत्या से मचा हड़कंप, कांग्रेस नेताओं ने सरकार को ठहराया जिम्मेदार

नालंदा : हरनौत प्रखंड के शिक्षा विभाग के बीपीओ मनीष कुमार की आत्महत्या की खबर से पूरे जिले में शोक और आक्रोश का माहौल है। घटना की जानकारी मिलते ही अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य दिलीप कुमार, जिला अध्यक्ष जितेंद्र प्रसाद सिंह, मीडिया प्रभारी मुन्ना कुमार पांडे और सोशल मीडिया अध्यक्ष उदय शंकर कुशवाहा बिहारशरीफ के सदर अस्पताल के पोस्टमार्टम भवन पहुंचे।
वहां पहले से मौजूद विभिन्न प्रखंडों के बीपीएम अधिकारियों ने बताया कि मनीष कुमार एक कर्मठ और मेहनती पदाधिकारी थे, लेकिन चार महीने से वेतन नहीं मिलने और अचानक नौकरी से निष्कासन की खबर से वे बेहद तनाव में थे। बताया जाता है कि मृत्यु से एक दिन पहले उन्होंने अपने सहयोगियों से फोन पर बातचीत की थी और मानसिक तनाव में होने की बात कही थी। अत्यधिक दबाव के कारण उन्होंने छत से कूदकर आत्महत्या कर ली।
नौकरी से निष्कासन का आदेश और बढ़ता आक्रोश
बताया जाता है कि 2023 में नई शिक्षा नीति के तहत तत्कालीन अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक द्वारा पांच साल के अनुबंध पर डीपीएम, बीपीएम, बीआरपी, एमडीएम, एमटीएस और जूनियर इंजीनियरों की बहाली की गई थी। लेकिन अपर मुख्य सचिव के तबादले के बाद, उनके उत्तराधिकारी सिद्धार्थ जी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी जिलों के शिक्षा पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि 31 मार्च के बाद इन सभी पदों को समाप्त कर दिया जाएगा।

इस निर्णय से प्रभावित कर्मचारी बेहद आक्रोशित हैं, क्योंकि वे डेढ़ साल से नौकरी में कार्यरत थे और अपने भविष्य को लेकर आश्वस्त थे। अब अचानक से बर्खास्तगी की सूचना से हजारों लोग बेरोजगार हो जाएंगे, जिससे ऐसी आत्महत्या की घटनाएं और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
नेताओं का आक्रोश, सरकार को बताया जिम्मेदार
कांग्रेस नेता दिलीप कुमार ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह घटना अत्यंत निंदनीय है। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकार एक तरफ नौकरी देने की बात करती है और दूसरी तरफ वरीय अधिकारी बिना किसी ठोस कारण के हजारों युवाओं को बेरोजगार कर रहे हैं।
जिला अध्यक्ष जितेंद्र प्रसाद सिंह ने एनडीए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार नौकरी देने के नाम पर युवाओं को ठग रही है। बिहार में रोजगार की कमी के कारण नौजवानों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, और अब जो थोड़ी बहुत नौकरियां दी गई थीं, उन्हें भी छीनने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने कहा कि “नौकरी दो, पलायन रोको” के नारे के साथ कांग्रेस पहले ही आंदोलन कर रही है, और अब इस मुद्दे को लेकर सड़क से सदन तक संघर्ष करेगी।
“बिहार में सरकार नहीं, अफसरशाही का राज” – कांग्रेस
प्रवक्ता मुन्ना पांडे ने सरकार के निर्णय पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि इस तरह का आदेश तालिबानी फरमान जैसा है। बिना लिखित सूचना के सिर्फ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हजारों कर्मचारियों को बाहर करने का आदेश देना अन्यायपूर्ण है।
उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में सरकार नाम की कोई चीज नहीं बची है। मुख्यमंत्री अपनी जिम्मेदारियों से दूर हो गए हैं, और बिहार के अधिकारी मनमाने फैसले लेकर युवाओं के भविष्य से खेल रहे हैं।
सरकार से 25 लाख मुआवजे की मांग
सोशल मीडिया अध्यक्ष उदय शंकर कुशवाहा ने मृतक मनीष कुमार के परिवार को सरकारी सुविधाओं के साथ 25 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार को इस तरह के आदेशों पर पुनर्विचार करना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाएं न हों।
कांग्रेस का ऐलान – सड़क पर उतरेगा आंदोलन
कांग्रेस नेताओं ने साफ कर दिया है कि अगर सरकार इस फैसले को वापस नहीं लेती तो जल्द ही राज्यभर में बड़े स्तर पर आंदोलन छेड़ा जाएगा। पार्टी के नेताओं ने युवाओं और सरकारी कर्मचारियों की आवाज को सदन तक पहुंचाने का संकल्प लिया है।
सरकार की जिम्मेदारी तय होगी – कांग्रेस
कांग्रेस नेताओं ने साफ शब्दों में कहा कि अगर इस फैसले के कारण भविष्य में और आत्महत्याएं होती हैं, तो उसकी पूरी जवाबदेही बिहार सरकार और शिक्षा विभाग के अधिकारियों की होगी।
