75 वर्षीय छायाकार सुबोध सागर की पीपल के पत्तों पर तस्वीर उकेर मधुरेंद्र ने दी अंतिम श्रद्धांजलि

मुंगेर (बिहार) : पत्रकारिता जगत के सशक्त फोटोग्राफरों में से एक, 75 वर्षीय चर्चित छायाकार सुबोध सागर का निधन शनिवार की रात अचानक सीने में दर्द उठने के कुछ ही समय बाद हो गया। उनके निधन की खबर फैलते ही पूरा मुंगेर शहर शोक में डूब गया। शुभचिंतकों ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी भावनाएँ व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने एक विशेष श्रद्धांजलि दी। उन्होंने दुनिया के सबसे छोटे (तीन सेंटीमीटर वाले) पीपल के हरे पत्तों पर सुबोध सागर की अद्भुत कलाकृति उकेरी, जो बेहद भावपूर्ण और अनोखी श्रद्धांजलि बन गई।
छायाकार को अनोखी श्रद्धांजलि
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने अपनी अनूठी कला के माध्यम से सुबोध सागर की याद में पीपल के पत्तों पर उनकी तस्वीर उकेरी। मधुरेंद्र ने दिवंगत छायाकार के परिजनों के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि, “सुबोध सागर जैसे कुशल पत्रकार और छायाकार का इस तरह असमय चले जाना पत्रकारिता जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके योगदान और निष्पक्ष कार्यशैली को कभी भुलाया नहीं जा सकता। वे सदैव अपनी सादगी और निष्कपटता के लिए याद किए जाएंगे।”
साप्ताहिक और दैनिक पत्रिकाओं में सक्रिय योगदान
उल्लेखनीय है कि सुबोध सागर ने पटना की साप्ताहिक पत्रिका समरक्षेत्र, भागलपुर की दैनिक पत्रिका नई बात, और तत्कालीन हिंदुस्तान मीडिया लिमिटेड सहित कई प्रतिष्ठित अखबारों में छायाकार के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई थी। वर्षभर पहले उनकी पत्नी का निधन हुआ था और अब वे स्वयं भी इस दुनिया को अलविदा कह गए।
सुबोध सागर और मुंगेर गंगा पुल आंदोलन
सुबोध सागर का मुंगेर गंगा पुल से गहरा जुड़ाव था। वे गंगा पुल को विकास की धुरी मानते थे। पुल के निर्माण के लिए चले जागृति आंदोलन की हर गतिविधि को उन्होंने अपने कैमरे में कैद किया और संबंधित खबरों को विभिन्न समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित कराते रहे। उनके इस समर्पण का लाभ आज पूरे क्षेत्र की जनता को मिल रहा है।