महर्षि दयानंद नहीं होते तो आज हम आज़ाद नहीं होते – पंडित प्रभात

नालंदा : आर्य समाज के 150वें स्थापना दिवस के अवसर पर बिहार राज्य आर्य प्रतिनिधि सभा एवं जिला सभा नालंदा द्वारा आयोजित चार दिवसीय विश्व कल्याण महायज्ञ, वेद उपदेश एवं भजनोपदेश कार्यक्रम का समापन हुआ। यह आयोजन 27 मार्च से 30 मार्च तक चला।
इस अवसर पर उत्तराखंड से आए भजनोपदेशक पंडित प्रभात कुमार आर्य ने कहा, “यदि महर्षि दयानंद न होते, तो आज हम स्वतंत्र न होते।” उन्होंने बताया कि महर्षि दयानंद सरस्वती, जिन्होंने आर्य समाज की स्थापना 150 वर्ष पूर्व मुंबई में की थी, भारत में प्रथम स्वतंत्रता क्रांति के उद्घोषक थे। उनके विचारों ने कई क्रांतिकारियों को प्रेरित किया, जिनमें लाला लाजपत राय, भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव सहित लाखों देशभक्तों ने स्वतंत्रता संग्राम में अपना जीवन बलिदान कर दिया।
उन्होंने बताया कि महर्षि दयानंद ने राष्ट्र में जनजागृति फैलाने के लिए महिला एवं पुरुषों की शिक्षा को प्राथमिकता दी। सबसे पहले उन्होंने फर्रुखाबाद में ‘आर्य पुत्री पाठशाला’ की स्थापना कर महिला शिक्षा का अभियान शुरू किया।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश से आए आचार्य विजयदेव नैष्ठिक ने बिहार के युवाओं की मेधावी प्रतिभा की सराहना करते हुए कहा कि बिहार के युवक सर्वाधिक योग्यता रखते हैं। उन्होंने बताया कि आर्य समाज बालक एवं बालिका के लिए अलग-अलग विद्यालय स्थापित कर शिक्षा प्रदान कर रहा है।
नालंदा जिला आर्य समाज के प्रधान प्रमोद कुमार आर्य ने जानकारी दी कि –
- 27 एवं 28 मार्च को नगरनौसा में,
- 29 एवं 30 मार्च को राणाविघा आर्य समाज में विश्व कल्याण महायज्ञ, वेद उपदेश एवं भजनोपदेश कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के आचार्य विजयदेव नैष्ठिक एवं उत्तराखंड के पंडित प्रभात कुमार आर्य ने भाग लिया और आर्य समाज की नीतियों एवं सिद्धांतों पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला।
इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करने वालों में – आर्य समाज राणाविघा के प्रधान प्रो. कामता प्रसाद, मंत्री अरविंद कुमार आर्य, महेन्द्र कुमार पाण्डेय सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।

