गुरु-गौरव सम्मान 2025 : नालंदा जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा शिक्षकों का हुआ भव्य सम्मान

बिहारशरीफ (नालंदा) : शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर नालंदा जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन की ओर से “गुरु-गौरव सम्मान 2025” का भव्य आयोजन बाबा मनीराम अखाड़ा स्थित महादेव मैरेज हॉल में किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के उत्कृष्ट सहयोग से सम्पन्न हुआ।
समारोह की अध्यक्षता सम्मेलन के अध्यक्ष विनय कुमार ने की, जबकि मंच संचालन वरीय मगही कवि उमेश प्रसाद उमेश, कवि नवनीत कृष्ण और सम्मेलन के सचिव महेंद्र कुमार विकल ने संयुक्त रूप से किया।
दीप प्रज्वलन और स्वागत भाषण से हुई शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रोच्चारण और दीप प्रज्वलन के साथ हुई। स्वागत भाषण में अध्यक्ष विनय कुमार ने शिक्षकों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा –
“5 सितंबर, 1888 को भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। इसी दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की परंपरा भारत सरकार ने शुरू की। शिक्षक ही वह दीपक हैं, जो समाज को ज्ञान, विज्ञान, आध्यात्म और संस्कारों से आलोकित करते हैं। आज का यह आयोजन उनके प्रति हमारी कृतज्ञता का प्रतीक है।”

उन्होंने आगे कहा कि निजी विद्यालयों के शिक्षक अक्सर सरकार की उपेक्षा के शिकार होते हैं और उन्हें अपेक्षित मान-सम्मान नहीं मिल पाता। इसी कारण संस्था ने उन्हें प्रोत्साहित करने और सम्मानित करने की पहल की है।
कवि सम्मेलन ने बांधा समां
अध्यक्षीय भाषण के बाद कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसका संचालन कवि उमेश प्रसाद उमेश ने किया। नालंदा के अलावा नवादा, पटना, बाढ़ और बख्तियारपुर से आए प्रतिष्ठित कवियों – रामाश्रय झा, हेमंत कुमार, नवनीत कृष्ण, महेंद्र कुमार विकल, उमेश बहादुरपुरी सहित अन्य कवियों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कविताओं में शिक्षा, समाज और संस्कार की झलक प्रमुख रूप से दिखाई दी।
शिक्षकों व अतिथियों का सम्मान
इस अवसर पर जिले के सरकारी और निजी विद्यालयों के चुनिंदा शिक्षकों को मोमेंटो और प्रशस्ति पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। साथ ही कार्यक्रम में शामिल विशिष्ट अतिथियों, कवियों और संस्था से जुड़े प्रमुख सदस्यों को अंगवस्त्र, मोमेंटो और प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया।
पौध वितरण से हरियाली का संदेश
कार्यक्रम के दौरान “मिशन हरियाली” के तहत पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी दिया गया। इस कड़ी में लगभग ढाई सौ फलदार पौधे शिक्षकों और अतिथियों के बीच वितरित किए गए।
शिक्षा व संस्कार की समृद्ध परंपरा को नई ऊर्जा
“गुरु-गौरव सम्मान 2025” कार्यक्रम ने नालंदा की साहित्यिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक धरोहर को नई ऊर्जा प्रदान की। पूरे सभागार में शिक्षकों के प्रति आदर और सम्मान की भावना स्पष्ट झलक रही थी।
समापन अवसर पर सम्मेलन की ओर से सभी उपस्थित शिक्षकों, कवियों और अतिथियों का आभार व्यक्त किया गया।