बिहारशरीफ में बदलाव की हुंकार, रवि रंजन ने उठाए कई गंभीर सवाल

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बिहारशरीफ (नालंदा) : स्थानीय समाजसेवी और पूर्व विधानसभा प्रत्याशी रवि रंजन कुमार ने शुक्रवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बिहारशरीफ के विकास, जन समस्याओं और राजनीतिक व्यवस्था को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि बिहारशरीफ में अब बदलाव की आवश्यकता है और इसके लिए आवाज बुलंद करना समय की मांग बन चुकी है।

रवि रंजन ने सबसे पहले कारगिल चौक पर स्थित जननायक जगदेव बाबू की प्रतिमा का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि सड़क चौड़ीकरण के दौरान प्रतिमा को हटा दिया गया था, लेकिन आज तक उसे पुनः स्थापित नहीं किया गया है। उन्होंने इसे जननायक का अपमान बताते हुए प्रशासन से अविलंब प्रतिमा की पुनर्स्थापना की मांग की।

स्मार्ट मीटर और बिजली व्यवस्था पर भी उन्होंने प्रशासन को घेरा। रवि रंजन ने कहा कि स्मार्ट मीटर आम जनता के लिए आर्थिक बोझ बन चुके हैं। शहर में बिजली आपूर्ति नियमित नहीं है, थोड़ी सी बारिश में ही घंटों तक बिजली गुल हो जाती है। इसके बावजूद उपभोक्ताओं पर जबरन स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं, जो पूरी तरह एकतरफा निर्णय है।

उन्होंने बिहारशरीफ को “नाम मात्र का स्मार्ट सिटी” बताते हुए कहा कि शहर में सड़कों पर शाम के समय पर्याप्त स्ट्रीट लाइट तक नहीं जलती हैं। सफाई व्यवस्था की स्थिति भी बदहाल है। नालों की समय पर सफाई नहीं होती और जब सफाई होती भी है तो कचरा सड़कों पर ही छोड़ दिया जाता है, जो पुनः नालों में जाकर जाम की स्थिति पैदा कर देता है।

राजनीतिक दलों पर हमला बोलते हुए रवि रंजन ने कहा कि चुनाव के समय दलित, महादलित और अतिपिछड़ा वर्ग की बातें तो की जाती हैं, लेकिन टिकट वितरण में केवल अपने रिश्तेदारों, खास लोगों और जाति विशेष को ही प्राथमिकता दी जाती है। उन्होंने कहा कि चुनाव के समय जो प्रत्याशी विकास का दावा करते हैं, वे जीतने के बाद केवल अपना विकास करने में जुट जाते हैं।

उन्होंने कहा कि बिहार शरीफ में कोल्ड स्टोरेज दिन पर दिन बंद होते जा रहा है, पहले 50 कोल्ड स्टोरेज थे अब मुश्किल से 10 कोल्ड स्टोरेज बचे हैं आए दिन कोल्ड स्टोरेज की भी संख्या घटती जा रही है। और बिहार शरीफ के कांसेप्ट को गुजरात के लोग अपना रहे हैं।

रवि रंजन ने कहा कि बिहारशरीफ को सच में एक जिम्मेदार, पारदर्शी और जनहितकारी प्रशासन की आवश्यकता है। इसके लिए शहरवासियों को जागरूक होकर आगे आना होगा और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठानी होगी।

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