11वीं जेठियन-राजगीर धम्म यात्रा: 1500 बौद्ध श्रद्धालुओं के स्वागत की तैयारी

नालंदा जिले में 13 दिसंबर को आयोजित होने वाली 11वीं जेठियन-राजगीर धम्म यात्रा को लेकर जिलाधिकारी शशांक शुभंकर ने तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं। यह यात्रा बौद्ध धर्म के पवित्र इतिहास को जीवंत करने का एक प्रयास है और इसमें विश्वभर से लगभग 1500 बौद्ध श्रद्धालु भाग लेंगे।
धम्म यात्रा का मार्ग और उद्देश्य
यह ऐतिहासिक यात्रा जेठियन ग्राम से शुरू होकर लगभग 15 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए राजगीर के वेणुवन में समाप्त होगी। यह वही मार्ग है, जहां से भगवान बुद्ध ने अपने ज्ञानोदय के बाद सारनाथ से धर्मचक्र प्रवर्तन के पश्चात मगध की राजधानी राजगृह की यात्रा की थी। इसी स्थान पर मगध के राजा बिम्बिसार ने भगवान बुद्ध का स्वागत किया था और वेणुवन को भिक्षु संघ के लिए दान किया था।
जिलाधिकारी के निर्देश
जिलाधिकारी ने सभी संबंधित अधिकारियों को सुरक्षा, यातायात, और कानून व्यवस्था बनाए रखने के सख्त निर्देश दिए हैं। यात्रा के सफल आयोजन के लिए हर स्तर पर समुचित प्रबंधन सुनिश्चित करने की बात कही गई है।
आयोजन की भूमिका
इस धम्म यात्रा का आयोजन नव नालंदा महाविहार के तत्वावधान में किया जा रहा है। साथ ही लाइट ऑफ बुद्ध धम्म फाउंडेशन, बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति, और अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संघ जैसी संस्थाएं भी इस आयोजन में सहयोग कर रही हैं। यह यात्रा न केवल बौद्ध धर्म की धार्मिक परंपरा का प्रतीक है, बल्कि इसके गौरवशाली इतिहास को जीवित रखने का एक सार्थक प्रयास भी है।
यात्रा का ऐतिहासिक महत्व
यात्रा का ऐतिहासिक महत्व इस तथ्य से जुड़ा है कि यह मार्ग भगवान बुद्ध के ज्ञानोदय और धर्मचक्र प्रवर्तन के बाद राजगृह की ओर उनकी यात्रा का साक्षी रहा है। इस यात्रा में शामिल होकर श्रद्धालु न केवल भगवान बुद्ध के जीवन से जुड़ी ऐतिहासिक स्थलों का अनुभव करेंगे, बल्कि उनके उपदेशों और बौद्ध संस्कृति को भी समझ सकेंगे।
धम्म यात्रा और युवा पीढ़ी
राजगीर में आयोजित यह वार्षिक धम्म यात्रा न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक अनुभव है, बल्कि यह बौद्ध धर्म के गौरवशाली इतिहास को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक अनूठा अवसर भी है। यात्रा बौद्ध संस्कृति के प्रचार-प्रसार और इसके मूल्यों को समाज में पुनर्जीवित करने का माध्यम है।
इस साल की यात्रा में भाग लेने वाले श्रद्धालु, भगवान बुद्ध की शिक्षाओं और उनके द्वारा स्थापित पथ का अनुसरण करते हुए, इतिहास और अध्यात्म के संगम का अनुभव करेंगे।