26.5 लाख में बना स्कूल भवन 15 साल से खंडहर: शिक्षा व्यवस्था की लचर स्थिति उजागर

नालंदा जिले में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली का एक और उदाहरण सामने आया है। हिलसा नगर परिषद क्षेत्र में 26.5 लाख रुपए की लागत से बना मई प्लस टू हाई स्कूल का भवन पिछले 15 वर्षों से बेकार पड़ा है। यह दो मंजिला भवन 2013 में बनकर तैयार हुआ था, लेकिन अब खंडहर में तब्दील हो चुका है।
भवन की जर्जर हालत
भवन में कुल छह कमरे हैं, लेकिन इनमें बड़ी-बड़ी दरारें हैं। पिलर और छज्जे टूट चुके हैं, और खिड़कियां-दरवाजे गायब हैं। दीवारें कमजोर हो चुकी हैं, जिससे भवन में किसी भी तरह की शैक्षणिक गतिविधि असंभव हो गई है। हाल ही में कुछ रंग-रोगन और ग्रिल लगाने का प्रयास किया गया, लेकिन यह काम केवल दिखावे तक ही सीमित रहा।

बच्चों की शिक्षा पर असर
स्कूल के प्राचार्य लोकपाल कुमार ने बताया कि भवन की मरम्मत और बाउंड्री वॉल के निर्माण के लिए कई बार विभाग को पत्राचार किया गया, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। फिलहाल, 835 छात्र इस स्कूल में नामांकित हैं, जिनमें से 270 प्लस टू के विद्यार्थी हैं। रोज़ाना 50 प्रतिशत से अधिक छात्र स्कूल आते हैं, लेकिन उन्हें पुराने भवन में अत्यधिक कठिनाइयों के बीच पढ़ाई करनी पड़ रही है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
हिलसा के एसडीओ प्रवीण कुमार ने मामले को गंभीर मानते हुए जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी लागत से बने भवन का बिना उपयोग खंडहर बन जाना बेहद चिंताजनक है। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया गया है।
स्थानीय लोगों का आक्रोश
स्थानीय निवासियों का कहना है कि भवन निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ है। सवाल उठ रहा है कि अगर भवन की गुणवत्ता खराब थी, तो इसका निर्माण कार्य स्वीकृत कैसे हुआ और भुगतान किस आधार पर किया गया?
शिक्षा व्यवस्था पर सवाल
यह घटना बिहार की शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर करती है। सरकार जहां शिक्षा के विकास के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं प्रशासनिक उदासीनता और भ्रष्टाचार के कारण यह धन बर्बाद हो रहा है।
सरकार को ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करनी होगी ताकि बच्चों को बेहतर शिक्षा और सुविधाएं मिल सकें और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
