मंदार महोत्सव में सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र की कलाकृति का जलवा: स्वच्छता का संदेश देकर लोगों को किया जागरूक

बांका: भगवान मधुसूदन की पावन धरती पर आयोजित 4 दिवसीय मंदार महोत्सव, जो 14 जनवरी से शुरू होकर 17 जनवरी तक चला, में एक बार फिर अंतर्राष्ट्रीय सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र कुमार की अद्भुत रेत कलाकृति आकर्षण का केंद्र बनी। चंपारण के इस युवा कलाकार ने अपनी कलाकृति के माध्यम से स्वच्छ गांव, स्वच्छ शहर का संदेश देकर लोगों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया।
तीन दिन की मेहनत, 10 टन बालू पर 15 फीट ऊंची कलाकृति
मधुरेंद्र ने महात्मा गांधी और स्वच्छ भारत अभियान पर आधारित 15 फीट ऊंची कलाकृति को तीन दिन की कठिन मेहनत के बाद तैयार किया। यह कलाकृति न केवल स्वच्छता का संदेश देती है, बल्कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे अभियानों को भी प्रेरित करती है। उनकी इस रचना ने महोत्सव में आने वाले हजारों दर्शकों का दिल जीत लिया। लोग इस कलाकृति के साथ सेल्फी लेकर इसे सोशल मीडिया पर खूब वायरल कर रहे हैं।
मंत्री और अधिकारियों ने की सराहना
उद्घाटन सत्र के दौरान बिहार सरकार के खेल मंत्री सुरेंद्र मेहता और भवन निर्माण मंत्री जयंत राज कुशवाहा ने मधुरेंद्र की इस रेत कलाकृति को सराहा। उन्होंने मधुरेंद्र की पीठ थपथपाई और उनके साथ सेल्फी भी ली। इसके अलावा, बांका सांसद गिरधारी यादव, विधायक रामनारायण मंडल, निक्की हेमब्रम, मनोज यादव, और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने भी उनकी प्रतिभा की प्रशंसा की।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान और सम्मान
मधुरेंद्र कुमार की रेत कला ने उन्हें वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई है। वे वैश्विक शांति सम्मान, राष्ट्रपति सम्मान, बिहार रत्न, चंपारण गौरव, यूथ आइकॉन जैसे पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। साथ ही, वे कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सैंड आर्ट प्रतियोगिताओं के विजेता रह चुके हैं।
सरकारी योजनाओं पर आधारित रचनाएं
मधुरेंद्र सामाजिक और सरकारी अभियानों पर आधारित अपनी कलाकृतियों के लिए जाने जाते हैं। उनकी रचनाएं स्वच्छता, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाती हैं।
मंदार महोत्सव का गौरव बढ़ाया
मधुरेंद्र ने मंदार महोत्सव को अपनी कला के माध्यम से एक विशेष पहचान दी है। उनकी कलाकृति ने न केवल महोत्सव में चार चांद लगाए, बल्कि स्वच्छता और सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाने का भी काम किया।
मधुरेंद्र कुमार की कला केवल एक रचना नहीं, बल्कि समाज को जागरूक करने का एक माध्यम है। उनकी प्रतिभा ने न केवल बिहार बल्कि पूरे देश का गौरव बढ़ाया है।