125 यूनिट मुफ्त बिजली योजना से प्रभावित हुए ग्रामीण एमआरसी कर्मचारी, स्थायी नियुक्ति या मानदेय वेतन की उठाई मांग

बिहारशरीफ (नालंदा) : बिहार सरकार की ओर से लागू की गई 125 यूनिट मुफ्त बिजली योजना जहां एक ओर आम जनता के लिए राहत भरी साबित हो रही है, वहीं दूसरी ओर इससे ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत एमआरसी (मैनुअल रीडिंग कर्मी) की रोजी-रोटी पर संकट मंडराने लगा है। इसको लेकर शुक्रवार को दर्जनों एमआरसी कर्मचारी बिहारशरीफ ग्रामीण विद्युत आपूर्ति प्रमंडल कार्यालय पहुंचे और कार्यपालक अभियंता से मुलाकात कर अपनी समस्याएं सामने रखीं।
इस मौके पर एमआरसी रघुवीर प्रसाद ने मीडिया से बातचीत में बताया कि वे लोग वर्षों से ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली बिल की रीडिंग और वितरण जैसे कार्य कमीशन के आधार पर करते आ रहे हैं। पहले उन्हें हर उपभोक्ता से मिलने वाले बिल के हिसाब से कमीशन मिलता था, जिससे उनकी मासिक आमदनी लगभग ₹15,000 से ₹20,000 तक हो जाती थी। इससे उनके परिवार का खर्च अच्छी तरह चलता था।
लेकिन अब सरकार द्वारा लागू की गई 125 यूनिट मुफ्त बिजली योजना के कारण कई उपभोक्ताओं का बिल ‘शून्य’ आ रहा है, जिससे उन्हें कोई कमीशन नहीं मिल पा रहा है। नतीजतन, एमआरसी कर्मियों की आमदनी घटकर ₹5,000 प्रतिमाह से भी कम हो गई है, जो उनके लिए जीवन यापन के लिहाज से बेहद कठिन साबित हो रहा है।
सरकार से की स्थायीत्व और सैलरी आधारित रोजगार की मांग
रघुवीर प्रसाद ने कहा, “हम सरकार से मांग करते हैं कि या तो हमें स्थायी कर्मचारी के रूप में बहाल किया जाए, या फिर हमें मासिक वेतनमान (मंडे सैलरी) पर रखा जाए, ताकि हमारे परिवार का जीवन संकट में न पड़े। हम वर्षों से विभाग की सेवा में हैं, और अब इस तरह हमारी अनदेखी की जा रही है।”
“बिना वेतन के काम करना अब संभव नहीं”
एमआरसी कर्मियों का कहना है कि वे पिछले कई वर्षों से पूरी निष्ठा से काम कर रहे हैं। गर्मी, बरसात और त्योहारों में भी उन्होंने बिजली उपभोक्ताओं के दरवाजे जाकर मीटर रीडिंग और बिल वितरण का कार्य किया है। अब जब योजना के चलते उनका आय स्रोत खत्म हो रहा है, तो सरकार को चाहिए कि उन्हें कोई वैकल्पिक रोजगार या नियमित नौकरी दी जाए।
विभागीय अधिकारी ने दिया आश्वासन
बताया जा रहा है कि विद्युत कार्यपालक अभियंता ने एमआरसी कर्मियों की बातों को गंभीरता से सुना और उनके सुझावों व मांगों को विभागीय स्तर पर उच्च अधिकारियों तक पहुंचाने का भरोसा दिया। हालांकि इस पर कोई लिखित आश्वासन नहीं दिया गया।