थाईलैंड में नालंदा की गोल्डी का गौरव:दिव्यांग खिलाड़ी ने जीता स्वर्ण पदक

नालंदा लक्ष्य खेल अकादमी की प्रतिभाशाली खिलाड़ी गोल्डी कुमारी ने थाईलैंड में आयोजित विश्व पैरा ओलंपिक यूथ गेम्स में भारत का नाम रोशन किया है। अपनी असाधारण क्षमता और दृढ़ संकल्प के बल पर गोल्डी ने यह साबित किया है कि दिव्यांगता भी किसी के सपनों को रोक नहीं सकती।
बचपन में एक दुर्घटना के कारण गोल्डी ने अपना बायां हाथ गंवा दिया, लेकिन इस चुनौती ने उनके जज्बे को कमजोर करने के बजाय और मजबूत कर दिया। उनके कोच कुंदन कुमार पांडे के अनुसार, गोल्डी खेलों के प्रति शुरू से ही समर्पित रही हैं। कोलकाता और बेंगलुरु में विशेष प्रशिक्षण के बाद, मार्च 2024 से उन्होंने अपने प्रदर्शन में सुधार करते हुए अपनी प्रतिभा को और निखारा।
गोल्डी कुमारी ने पहले भी दो बार जूनियर पैरालंपिक राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। गुजरात के नाडियाल में आयोजित 12वीं जूनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में गोला फेंक और बेंगलुरु में आयोजित 13वीं जूनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में चक्का फेंक में उनका प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा।
कोच पांडे ने ग्रामीण इलाकों की प्रतिभाओं के सामने आने वाली चुनौतियों को उजागर करते हुए कहा कि आर्थिक तंगी और संसाधनों की कमी जैसी बाधाएं कई प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को आगे बढ़ने से रोकती हैं। उन्होंने स्थानीय प्रशासन और समाज के जागरूक लोगों से अपील की कि ऐसी प्रतिभाओं को पहचानें और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करें।
थाईलैंड में आयोजित अंडर-17 की एफ-46 श्रेणी की गोला और चक्का फेंक प्रतियोगिता में भाग लेते हुए गोल्डी का एकमात्र लक्ष्य स्वर्ण पदक जीतना था, जिसे उन्होंने अपने कठिन परिश्रम और लगन से हासिल कर लिया। उनके इस शानदार प्रदर्शन की सराहना स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों और समाज के हर वर्ग ने की है।
डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम के शब्दों को याद करते हुए कहा जा सकता है, “मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है।” गोल्डी कुमारी इसका जीवंत उदाहरण हैं।
नालंदा की इस बेटी पर पूरे देश को गर्व है।