फसल सुरक्षा के लिए नालंदा में घुड़सवार टुकड़ी की तैनाती, किसानों को राहत

नालंदा के सीमावर्ती क्षेत्रों में किसानों की फसलों की सुरक्षा के लिए पुलिस प्रशासन ने एक अनूठी पहल की है। फसल चोरों से बचाव के लिए घुड़सवार टुकड़ी को तैनात किया गया है, जो दिन-रात गश्त कर किसानों की मेहनत की रक्षा कर रही है।
‘प्याले की दाल’ के लिए मशहूर टाल क्षेत्र
नालंदा का टाल इलाका, जिसे ‘प्याले की दाल’ के नाम से जाना जाता है, यहाँ की उर्वर भूमि और विशेष कृषि उत्पादों के लिए प्रसिद्ध है। लगभग 4,484 बीघा में फैली हरी-भरी फसलें यहाँ के किसानों की आजीविका का प्रमुख स्रोत हैं। इस क्षेत्र में चना, सरसों, आलसी और बाजरे की लहलहाती फसलें दूर तक अपनी सुगंध बिखेरती हैं। लेकिन हाल के वर्षों में फसल लूटने वाले गिरोहों के सक्रिय होने से किसानों के लिए गंभीर समस्या खड़ी हो गई है।

फसल कटाई के समय बढ़ जाता है खतरा
स्थानीय किसानों के अनुसार, एक बीघा खेत की खेती में 8 से 10 हजार रुपए तक का खर्च आता है, लेकिन जब फसल पककर तैयार होती है, तो हथियारबंद लुटेरे घोड़ों पर सवार होकर आते हैं और फसल लूट ले जाते हैं। इस वजह से किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है।
26 दिसंबर से 11 अप्रैल तक विशेष सुरक्षा व्यवस्था
पुलिस प्रशासन ने इस समस्या की गंभीरता को समझते हुए 26 दिसंबर से 11 अप्रैल तक विशेष सुरक्षा व्यवस्था लागू की है। हवलदार दिनेश ठाकुर के अनुसार, यह क्षेत्र दुर्गम होने के कारण यहाँ तक पहुँचना भी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि अधिकतर गांवों तक केवल पगडंडियों के माध्यम से ही पहुँचा जा सकता है।

प्रशासन की पहल बनी संजीवनी
स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने प्रत्येक घोड़े पर प्रतिदिन 500 से 700 रुपए खर्च करने का निर्णय लिया है। यह पूरी व्यवस्था सरकारी खर्च पर चलाई जा रही है, जिससे किसानों को काफी राहत मिली है।
बटाईदारों के भरोसे खेती, सुरक्षा और भी महत्वपूर्ण
एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि अधिकांश किसान अब शहरों में बस चुके हैं और बटाईदारों के माध्यम से खेती करवा रहे हैं। ऐसे में फसल की सुरक्षा और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
प्रशासन की इस पहल से क्षेत्र के हजारों किसानों को राहत मिली है, और यह योजना किसानों के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं साबित हो रही है।
