नानंद में विकास की असल तस्वीर दिखा रहा महादलित टोला

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नालंदा, नानंद: प्रगति यात्रा के तहत नानंद में एक ओर विकास का मॉडल तैयार किया गया है, जहाँ 12 महादलित परिवारों के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर क्लस्टर का निर्माण कराया गया है और उन्हें तमाम सुविधाएँ उपलब्ध कराई गई हैं। लेकिन दूसरी ओर, तलाब के पश्चिमी भाग में बनाए गए तोरण द्वार के ठीक सामने स्थित महादलित टोला में विकास की असली तस्वीर झलकती है, जो प्रशासनिक दावों की पोल खोल रही है।

करीब 50 से अधिक परिवारों वाले इस महादलित टोला के लोग आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। यहाँ की सड़कों पर गंदे पानी से भरी कच्ची नालियाँ बजबजा रही हैं, और घरों के सामने कमर तक भरा गंदा पानी लोगों की परेशानियों को और बढ़ा रहा है।

नरकीय जीवन जीने को मजबूर लोग

टोले की बच्ची देवी, आरती देवी, रामकिशुन मोची, किशोरी रविदास समेत अन्य लोगों ने बताया कि बीते पांच महीनों से मुख्यमंत्री के दौरे को ध्यान में रखकर विकास कार्य किए जा रहे हैं, लेकिन इसका कोई लाभ गरीब परिवारों को नहीं मिल रहा। लोगों का कहना है कि उनके घरों से पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है, जिससे घर के चारों ओर गंदा पानी जमा हो जाता है और वे नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।

स्थानीय निवासियों ने यह भी आरोप लगाया कि यह सारा विकास सिर्फ मुख्यमंत्री को दिखाने के लिए किया जा रहा है, जबकि गरीब परिवारों की असल जरूरतों की अनदेखी की जा रही है। अधिकारियों द्वारा टोले के लोगों की समस्याओं को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है, जिससे वे अब भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।

विकास की हकीकत दिखा रहा महादलित टोला

विडंबना यह है कि जहाँ प्रगति यात्रा के स्वागत के लिए तोरण द्वार बनाया गया है, उसी के सामने स्थित महादलित टोला में बदहाल स्थिति साफ देखी जा सकती है। यही रास्ता है, जिससे होकर जिलाधिकारी और अन्य अधिकारी प्रतिदिन गुजरते हैं, फिर भी इस इलाके की समस्याओं को अनदेखा किया जा रहा है।

यह स्थिति सरकार के विकास मॉडल पर सवाल खड़े करती है और बताती है कि असल में विकास किसके लिए हो रहा है।

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