तीन पंचायतों की सिंचाई पर संकट, नाला निर्माण पर अटकी फाइल, तीन साल बाद भी कार्य शुरू नहीं

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आस्थावा (नालंदा) : नालन्दा जिले के अस्थावाँ प्रखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत कैला में नाला निर्माण और पोखर अतिक्रमण हटाने की मांग तीन साल बाद भी अधूरी है। यह मामला वर्ष 2022 में तब उठा था जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के क्षेत्र भ्रमण के दौरान ग्रामीणों ने ज्ञापन सौंपकर समस्या से अवगत कराया था।

उस समय बहादी बीघा निवासी एवं पंचायत समिति सदस्य विष्णुदेव प्रसाद ने 2300 फीट लम्बे नाले के निर्माण की मांग की थी। तकनीकी सहायक के साथ प्रखंड पंचायत राज पदाधिकारी ने 10 नवम्बर 2022 को स्थल निरीक्षण किया और पाया कि 1300 फीट पईन गाँव के बाहर से गुजरती है, जबकि लगभग 1000 फीट गाँव के भीतर से होते हुए पोखर तक जाती है। गाँव के भीतर वाले हिस्से में पीसीसी ढलाई और ढक्कन लगाने की आवश्यकता बताई गई। अनुमानित लागत लगभग 1.49 करोड़ रुपये आंकी गई थी। इतनी बड़ी राशि पंचायत स्तर से संभव न होने के कारण इसे लघु सिंचाई विभाग को अग्रेतर कार्रवाई के लिए भेजा गया।

इसी क्रम में पोखर पर अतिक्रमण की संभावना भी पाई गई, जिसे लेकर अंचलाधिकारी, अस्थावाँ को जांच और कार्रवाई के लिए पत्र भेजा गया था। पंचायत अध्यक्ष राजीव रंजन बताते हैं कि मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान ग्रामीणों ने नाले की समस्या जीपीएस लोकेशन और तस्वीर प्रस्तुत की थी। रिपोर्ट बनने और विभाग को भेजे जाने के बावजूद अब तक काम शुरू नहीं हो सका है।

ग्रामीणों का कहना है कि नाला बहादी बीघा, कैला और नेरूत तीनों पंचायतों की हजारों एकड़ जमीन की सिंचाई का मुख्य स्रोत है। यह नाला गांव के बीच से गुजरकर एक बड़े पोखर में जाता है, जहाँ सालभर पानी भरा रहता है। इसी पानी से खेतों की सिंचाई होती है। लेकिन बार-बार अतिक्रमण और कचरा भर जाने से नाला जाम हो जाता है और किसानों को हर सीजन में परेशानी झेलनी पड़ती है।

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ग्रामीण जनता का आरोप है कि अधिकारी सिर्फ फाइल आगे बढ़ाने की औपचारिकता कर रहे हैं, जबकि जमीनी स्तर पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि लंबित योजना को तुरंत स्वीकृति देकर कार्य प्रारंभ कराया जाए, जिससे तीन पंचायतों – कैला, ओंदा और नेरूत – के हजारों किसानों को राहत मिल सके।

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