आदर्श ग्राम नानंद में क्लस्टर निर्माण में अनियमितताएं: मुख्यमंत्री की प्रस्तावित प्रगति यात्रा से प्रशासन सक्रिय

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नालंदा : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आगामी प्रगति यात्रा से पहले नालंदा जिले के सिलाव प्रखंड स्थित आदर्श ग्राम नानंद में प्रशासन की लापरवाही और निर्माण में अनियमितताओं का खुलासा हुआ है। महादलित क्लस्टर निर्माण परियोजना के तहत करोड़ों रुपये की लागत से किए जा रहे निर्माण कार्यों में बड़ी गड़बड़ियां सामने आई हैं।

परियोजना का विवरण और अनियमितताएं

वित्तीय वर्ष 2021-22 में इस परियोजना के तहत 12 महादलित परिवारों को पांच-पांच डिसमिल भूमि आवंटित की गई थी। जनवरी 2023 में आवास निर्माण के लिए पहली किस्त जारी की गई, और फरवरी 2023 में अंतिम किस्त का भुगतान कर दिया गया। लेकिन जांच में पाया गया कि अधिकांश निर्माण कार्य अधूरे हैं।

स्थानीय निवासियों के अनुसार, निर्माण कार्य घटिया स्तर का है और कई घरों में छत, खिड़की और दरवाजे तक नहीं लगाए गए हैं। उदाहरण के तौर पर, गुड्डू मांझी का मकान स्पष्ट रूप से अधूरे निर्माण की स्थिति दर्शाता है।

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जिम्मेदार अधिकारियों के बयान

  • आवास सहायक मधुलिका ने स्वीकार किया कि अधिकांश घरों में प्लास्टर और खिड़की-दरवाजे का काम अधूरा था, फिर भी अंतिम किस्त का भुगतान कर दिया गया।
  • बीडीओ प्रहलाद कुमार ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि यह निर्माण कार्य उनके कार्यभार संभालने से पहले का है।

मुख्यमंत्री की यात्रा से पहले सौंदर्यीकरण की हड़बड़ी

मुख्यमंत्री की यात्रा को देखते हुए प्रशासन ने अधूरे मकानों की रंगाई-पुताई और सौंदर्यीकरण का कार्य तेजी से शुरू करवा दिया है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रशासन केवल अनियमितताओं को छुपाने और मुख्यमंत्री को प्रभावित करने के लिए दिखावे के कामों में जुटा हुआ है।

गरीबों की दुर्दशा

परियोजना का उद्देश्य महादलित परिवारों को आवास मुहैया कराना था, लेकिन लापरवाही और भ्रष्टाचार ने इस उद्देश्य को विफल कर दिया है। लाभार्थी अधूरे मकानों में रहने को मजबूर हैं। इन परिवारों को अभी भी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं, जो सरकारी योजनाओं की खामियों को उजागर करती हैं।

आदर्श ग्राम नानंद में क्लस्टर निर्माण परियोजना में हुई अनियमितताओं ने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मुख्यमंत्री की प्रस्तावित प्रगति यात्रा के कारण प्रशासन भले ही सक्रिय हो गया हो, लेकिन यह कदम महज दिखावे तक ही सीमित नजर आता है। गरीब महादलित परिवारों के साथ हुए इस अन्याय की जिम्मेदारी तय करने और दोषियों पर कार्रवाई की आवश्यकता है।

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