अखिल भारतीय रविदासिया धर्म का जिला सम्मेलन 26 फरवरी को बिहारशरीफ में

बिहारशरीफ: बिहारशरीफ के सर्वोदय नगर में अखिल भारतीय रविदासिया धर्म की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता अखिल भारतीय सदस्य धर्म के जिला उपाध्यक्ष शंकर दास ने की। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि आगामी 26 फरवरी 2025 को सुबह 10:00 बजे बिहारशरीफ के आईएम हॉल में अखिल भारतीय रविदासिया धर्म का जिला सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।
इस अवसर पर अखिल भारतीय रविदासिया धर्म के जिला अध्यक्ष बलराम साहब और अतिपिछड़ा, दलित एवं अल्पसंख्यक के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामदेव चौधरी ने संयुक्त रूप से कहा कि संत रविदास जी भारत के महान संतों में से एक हैं। उनका जन्म माघ सुदी 15 पूर्णिमा संवत् 1433 (1377 ई.) में बनारस के पास स्थित सीर गोवर्धनपुर गांव में पिता संतोख जी और माता कलसी देवी की पवित्र कोख से हुआ था। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों, जातिवाद और अंधविश्वास का विरोध करते हुए मानवतावादी विचारधारा को स्थापित किया।
संत रविदास के विचारों की प्रासंगिकता
संत रविदास जी ने कहा था:
“मन चंगा तो कठौती में गंगा”
उनकी यह वाणी आज भी मानवता के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने कर्म को प्रधानता देते हुए कहा:
“मूर्ति से कृति भली, बिना पंख उड़ जाय।
मूर्ति तो पड़ी रही, कृति कबहुं न जाय।”
संत रविदास जी ने सामाजिक ऊंच-नीच और जातिवाद को मानवता के लिए घातक बताया और समतामूलक समाज की स्थापना की वकालत की।

सम्मेलन के लिए अपील
सम्मेलन में जिले के सभी साधु-संतों, समाज सेवकों, बुद्धिजीवियों, युवाओं, महिलाओं और छात्रों से उपस्थिति की अपील की गई है। आयोजन को सफल बनाने के लिए तन-मन-धन से सहयोग की प्रार्थना की गई है।
बैठक में प्रमुख उपस्थिति
बैठक में अखिल भारतीय रविदासिया धर्म के जिला महासचिव मिशन गायिका निभा कुमार, महिला संगठन सचिव धनवंती बौद्ध, जिला उपाध्यक्ष लाल दास, जिला महासचिव स्वामी सहजानंद, जिला युवा अध्यक्ष अखिलेश अंबेडकर, नगर अध्यक्ष अवधेश कुमार, मीडिया प्रभारी एकलव्य बौद्ध, जिला सचिव सोहनलाल सुधाकर, जिला सचिव अरविंद रविदास, जिला उपाध्यक्ष वीरेंद्र कुमार, जिला संयोजक रानी कुमारी, नगर महासचिव नीरज कुमार, प्रखंड अध्यक्ष भीम दास, राजबली दास, रामआशीष दास, उपेंद्र दास, कालीचरण दास, वीरमणि दास, महेंद्र दास और हरेंद्र कुमार कारू दास सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
इस सम्मेलन के माध्यम से संत रविदास जी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने और समाज में समरसता स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा।
