15 साल से बरामदे में पढ़ रहे बच्चे, सरकार के स्मार्ट क्लास के दावे हुए फेल, छत नहीं, शौचालय नहीं – खुले आसमान के नीचे चलता है ये सरकारी स्कूल

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हरनौत (नालंदा) : बिहार सरकार की शिक्षा नीति और ‘स्मार्ट क्लास’ जैसी योजनाओं के दावों के बीच नालंदा जिले का एक प्राथमिक विद्यालय आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है। हरनौत प्रखंड के बेढ़ना गांव स्थित यह सरकारी विद्यालय विगत 15 वर्षों से भवन, शौचालय और अन्य आवश्यक सुविधाओं के अभाव में संचालित हो रहा है। यहां पढ़ने वाले 47 छात्र अब भी बरामदे में बैठकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं।

1975 में स्थापित, आज भी अधूरा

इस स्कूल की स्थापना वर्ष 1975 में ग्रामीण सत्येंद्र सिंह द्वारा दान में दी गई जमीन पर हुई थी। स्कूल प्रभारी अनील कुमार बताते हैं, “मैंने 2006 में जब ज्वाइन किया, तब बच्चे खुले आसमान में पढ़ते थे। 2010 में दो कक्षों पर एस्बेस्टस की छत डाली गई थी, परंतु आंधी-तूफान में एक कक्ष पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। तब से बच्चे बरामदे में बैठकर ही पढ़ाई कर रहे हैं।”

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बारिश और गर्मी में परेशानी चरम पर

बरसात के दिनों में स्कूल का बरामदा भीग जाता है और प्रांगण में पानी भर जाता है, जिससे बच्चों को छुट्टी देनी पड़ती है या फिर वे खुद ही बस्ता लेकर घर चले जाते हैं। गर्मी के मौसम में पंखा तक नहीं है, जिससे बच्चों और शिक्षकों दोनों को परेशानी उठानी पड़ती है।

मिड-डे मील भी बरामदे में

विद्यालय में मिड-डे मील का भोजन भी खुले बरामदे में ही तैयार किया जाता है। शौचालय न होने से बच्चे और शिक्षक-शिक्षिकाएं शौच के लिए विद्यालय परिसर के बाहर जाने को विवश हैं।

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छह शिक्षक, लेकिन सुविधाएं शून्य

विद्यालय में छह शिक्षक कार्यरत हैं। हाल ही में कुमारी नीतू सिंह ने प्रधानाध्यापक के रूप में योगदान दिया है। शिक्षिकाएं बबीता कुमारी और रेणु कुमारी भी स्कूल में मूलभूत सुविधाओं के अभाव की पुष्टि करती हैं।

ग्रामीणों का आक्रोश

ग्रामवासियों – रजनीश कुमार सिन्हा और प्रशांत कुमार सिंह – का कहना है, “जब दूसरे स्कूलों में स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर लैब और पुस्तकालय जैसी आधुनिक सुविधाएं मिल रही हैं, तो हमारे बच्चों को बुनियादी सुविधाएं क्यों नहीं मिल रही हैं? स्कूल में पंखा, लाइट, डेस्क-बेंच, शौचालय, ब्लैकबोर्ड, कक्षा-कक्ष और चारदीवारी तक नहीं है।”

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प्रशासनिक उदासीनता

प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी नितेश कुमार रंजन का कहना है कि मामला अभी तक उनके संज्ञान में नहीं आया है। उन्होंने कहा, “यदि विद्यालय प्रभारी ने रिपोर्ट दी होगी तो बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना विकास निगम लिमिटेड (BEPC) से निर्माण का प्रस्ताव भेजा जाएगा।”

हालांकि स्कूल प्रभारी अनील कुमार का दावा है कि उन्होंने कई बार अधिकारियों को लिखित सूचना दी है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल

इस तस्वीर ने न केवल सरकारी व्यवस्था की जमीनी हकीकत को उजागर किया है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा किया है कि स्मार्ट क्लास की दौड़ में क्या बिहार का ग्रामीण शिक्षा ढांचा कहीं पीछे तो नहीं छूट रहा?

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