छोटे मुखिया ने थामा कांग्रेस का दामन, भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व प्रत्याशी, सैकड़ों समर्थकों के साथ किया शक्ति प्रदर्शन

बिहार शरीफ (नालंदा) : नालंदा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता कौशलेंद्र कुमार उर्फ छोटे मुखिया ने गुरुवार को कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया। राजेंद्र आश्रम स्थित जिला कांग्रेस कार्यालय में आयोजित मिलन समारोह में उन्होंने अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। इस मौके पर कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव व बिहार प्रभारी देवेंद्र यादव, राजगीर के पूर्व विधायक रवि ज्योति और कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष दिलीप कुमार मौजूद रहे।
छोटे मुखिया के कांग्रेस में शामिल होने को लेकर पार्टी में उत्साह का माहौल देखा गया। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा, “मेरी राजनीतिक यात्रा एक मुखिया के रूप में शुरू हुई थी, लेकिन जनता की सेवा की भावना ने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया है। अब मैं संगठित सत्ता के खिलाफ संघर्ष के लिए कांग्रेस में शामिल हुआ हूं।”

उन्होंने आगे कहा, “यह 30 वर्षों की जनसेवा बनाम 5 वर्षों के शासन का मुकाबला है। नालंदा में एक व्यक्ति की सत्ता की मनमानी से लोग परेशान हैं। महंगाई, बेरोजगारी और जनता की तकलीफें चरम पर हैं।” छोटे मुखिया ने इस दौरान नालंदा विधानसभा क्षेत्र में सत्ता परिवर्तन की बात कही और कांग्रेस को मजबूत करने का संकल्प जताया।
देवेंद्र यादव ने किया स्वागत
इस अवसर पर कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव देवेंद्र यादव ने छोटे मुखिया के पार्टी में शामिल होने को कांग्रेस के लिए बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि छोटे मुखिया जैसे जमीनी और ऊर्जावान नेता के आने से नालंदा में पार्टी को नई ऊर्जा मिलेगी। साथ ही उन्होंने नीतीश सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि “प्रदेश में एनडीए सरकार से जनता ऊब चुकी है। आने वाले चुनाव में इंडिया गठबंधन हर सीट पर मजबूती से लड़ेगा और जीत हासिल करेगा।”

राजनीतिक समीकरणों में बदलाव के संकेत
छोटे मुखिया के कांग्रेस में शामिल होने को नालंदा की राजनीति में बड़ा बदलाव माना जा रहा है। यहां वर्तमान में जदयू के वरिष्ठ नेता एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार विधायक हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि छोटे मुखिया उनके कड़े विरोधी माने जाते हैं। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में नालंदा सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना जताई जा रही है।
इस घटनाक्रम को भाजपा के लिए भी बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि छोटे मुखिया का जनाधार नालंदा क्षेत्र में काफी मजबूत है। वहीं कांग्रेस को इससे स्थानीय स्तर पर नई ताकत मिलने की उम्मीद है।
आने वाले चुनावों पर असर तय
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, छोटे मुखिया का कांग्रेस में प्रवेश न केवल स्थानीय समीकरणों को प्रभावित करेगा, बल्कि नालंदा जिले में इंडिया गठबंधन को भी मजबूती देगा। अब देखना होगा कि आगामी चुनाव में यह राजनीतिक कदम क्या रंग लाता है।