बिहारशरीफ फ्लाईओवर: विकास का सपना या विवादों की वजह?

0
flyover keshav tv 24

स्मार्ट सिटी योजना के तहत बिहारशरीफ शहर में यातायात की समस्या को दूर करने के लिए रांची रोड पर सोगरा कॉलेज से एलआईसी ऑफिस तक डेढ़ किलोमीटर लंबे फ्लाईओवर का निर्माण किया जा रहा है। यह शहर का पहला फ्लाईओवर है, जिसका उद्देश्य जाम की समस्या से निजात दिलाना है। हालांकि, निर्माण कार्य शुरू होने से पहले ही यह परियोजना विवादों में घिर गई है।

निर्माण कार्य की धीमी प्रगति

फ्लाईओवर के निर्माण के लिए 29 अगस्त 2022 को एग्रीमेंट हुआ था, जिसे 8 अगस्त 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया। हालांकि, रिपोर्ट के मुताबिक, निर्माण कार्य एग्रीमेंट से पहले ही 16 जून 2022 को शुरू हो गया था। बावजूद इसके, लगभग डेढ़ साल बीतने के बाद भी केवल 80% काम ही पूरा हो सका है। धीमी प्रगति के कारण परियोजना तय समय पर पूरा होने की संभावना कम दिख रही है।

परियोजना की लागत और संरचना

यह फ्लाईओवर 1.5 किलोमीटर लंबा और 8.9 मीटर चौड़ा है, जिसकी कुल लागत लगभग 52 करोड़ रुपये है। इस परियोजना को यातायात की समस्याओं का स्थायी समाधान माना जा रहा है।

flyover2

मकानों के तोड़े जाने पर विवाद

फ्लाईओवर निर्माण के लिए जगह की कमी को देखते हुए बिहारशरीफ नगर निगम ने सड़क किनारे बने करीब 30 मकानों को तोड़ने का फैसला किया है। मकान मालिकों को नोटिस भेजकर उनके मकानों का नक्शा मांगा गया है।

स्थानीय निवासियों की आपत्ति:

अधिकांश मकान 50-60 साल पुराने हैं। मकान मालिकों का कहना है कि जब ये मकान बने थे, तब नगर निगम अस्तित्व में नहीं था। अब इतने सालों बाद उनके घरों को तोड़ने का निर्णय पूरी तरह अनुचित है।

स्थानीय लोगों का विरोध और राजनीतिक हस्तक्षेप

नोटिस के बाद स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि फ्लाईओवर के लिए उनके घर अनावश्यक रूप से तोड़े जा रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि निर्माण कार्य शुरू होने से पहले अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि किसी को कोई परेशानी नहीं होगी।

राजनीतिक हस्तक्षेप:

स्थानीय विधायक डॉ. सुनील कुमार ने नगर आयुक्त को पत्र लिखकर इस फैसले को गलत ठहराया है। उन्होंने मकानों को तोड़ने का निर्णय वापस लेने की मांग की है। वहीं, कई प्रभावित लोग अब न्यायालय का रुख करने की तैयारी कर रहे हैं।

नगर आयुक्त का बयान

नगर आयुक्त दीपक मिश्रा ने कहा कि सरकारी जमीन पर हुए अतिक्रमण को हटाने के लिए नोटिस जारी किया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारी उपकरणों के मूवमेंट में बाधा के कारण निर्माण कार्य में समस्या हो रही है। इसे हल करने के लिए वैकल्पिक उपाय किए जा रहे हैं।

स्थानीय निवासियों की प्रतिक्रिया

स्थानीय निवासियों का मानना है कि रांची रोड पर फ्लाईओवर की जरूरत ही नहीं थी। संजय मेहता और नवीन प्रसाद जैसे निवासियों का कहना है कि वर्षों पुराने मकानों के नक्शे की मांग करना पूरी तरह से अनुचित है। उनके अनुसार, यह प्रोजेक्ट आम लोगों को परेशान करने वाला है और इसके बेहतर विकल्प निकाले जाने चाहिए।

न्याय की मांग

प्रभावित निवासियों ने स्पष्ट किया है कि अगर उनके साथ न्याय नहीं हुआ तो वे न्यायालय का सहारा लेंगे। उनका कहना है कि सरकारी अधिकारियों को इस बात को सुनिश्चित करना चाहिए कि विकास कार्य लोगों की परेशानी का कारण न बने।

बिहारशरीफ फ्लाईओवर, जो स्मार्ट सिटी योजना के तहत शहर के विकास का प्रतीक है, फिलहाल विवादों में घिरा हुआ है। धीमी प्रगति, स्थानीय लोगों के घर तोड़ने का फैसला और परियोजना की जरूरत पर उठते सवाल इसे और अधिक जटिल बना रहे हैं। इस परियोजना का सफल और समय पर पूरा होना न केवल शहर के यातायात के लिए बल्कि प्रशासन और स्थानीय जनता के बीच विश्वास बहाली के लिए भी महत्वपूर्ण है।

cropped 1000399605 1

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *