चुनाव के बीच स्नातक वोटर बनाने की प्रक्रिया पर सवाल, अधिकार मंच ने कहा – फॉर्म उपलब्ध नहीं, काउंटर नहीं होने से युवा परेशान

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बिहारशरीफ (नालंदा) : स्नातक अधिकार मंच ने 2026 में होने वाले स्नातक विधान परिषद चुनाव के लिए मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। मंच ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग इस महत्वपूर्ण कार्य की अनदेखी कर रहा है। नतीजतन, प्रक्रिया शुरू होने के बावजूद किसी भी प्रखंड कार्यालय में फॉर्म उपलब्ध नहीं हैं और नामांकन काउंटर भी नहीं बनाए गए हैं। इस कारण स्नातक युवाओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

सोमवार को बिहारशरीफ के रामचंद्रपुर स्थित कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में मंच के संयोजक दिलीप कुमार ने कहा कि 30 सितंबर से वोटर बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जो 6 नवंबर तक चलेगी। लेकिन, बिहार में चल रहे विधानसभा चुनाव के बीच इस प्रक्रिया को शुरू करना गलत निर्णय है।

चुनाव आयोग की निष्क्रियता का प्रमाण

दिलीप कुमार ने कहा कि वर्ष 2026 में बिहार के साथ-साथ कर्नाटक, मुंबई और उत्तर प्रदेश में भी स्नातक निर्वाचन होना है। ऐसे में बिहार में विधानसभा चुनाव के दौरान यह प्रक्रिया चलाना अनुचित है। उन्होंने कहा कि आयोग की यह लापरवाही उसकी निष्क्रियता का प्रमाण है।

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मंच संयोजक ने यह भी आरोप लगाया कि यह कदम स्नातक वोटरों को मताधिकार से वंचित करने की सोची-समझी कोशिश है। क्योंकि स्नातक पास युवा स्वयं प्रखंड या कमिश्नरी जाकर फॉर्म भरते हैं, सरकार उन्हें स्वतः मतदाता नहीं बनाती।

फॉर्म-18 भरकर वोटर बनने की अपील

दिलीप कुमार ने बताया कि उनका मंच वर्ष 2020 से ही पटना, नालंदा और नवादा सहित पूरे बिहार में स्नातक युवाओं को मताधिकार के प्रति जागरूक करने का कार्य कर रहा है। उन्होंने सभी स्नातक युवाओं से अपील की कि वे भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा जारी प्रारूप-18 (Form-18) भरकर अपने-अपने प्रखंड कार्यालयों में जमा करें।

उन्होंने मंच का नारा दोहराया —
👉 “मैं भी स्नातक, वोट मेरा अधिकार”
👉 “एक भी स्नातक छूटे नहीं, वोट देने से चूके नहीं।”

उन्होंने कहा कि हर पढ़ा-लिखा युवा आगे आए और अपने इस विशेष मताधिकार का प्रयोग कर लोकतंत्र को मजबूत बनाए।

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