भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर संगोष्ठी का आयोजन, कवियों ने अटल जी को कविता के माध्यम से याद कर दी श्रद्धांजलि

नालंदा (बिहार शरीफ) : भारत रत्न, कवि हृदय और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के उपलक्ष्य में बुधवार को समाहरणालय स्थित हरदेव भवन में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम शिक्षा विभाग और कला, संस्कृति एवं युवा विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया।
संगोष्ठी की अध्यक्षता जिला शिक्षा पदाधिकारी नालंदा राजकुमार ने की, जबकि संचालन शिक्षक अजय कुमार ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ जिला शिक्षा पदाधिकारी राजकुमार और अन्य अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
इस अवसर पर जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी सुश्री शालिनी प्रकाश ने अतिथियों, साहित्यकारों और कवियों का स्वागत करते हुए कहा, “अटल बिहारी वाजपेयी एक अद्वितीय कवि, साहित्यकार और निर्भीक पत्रकार थे। उनकी कविताएँ देशप्रेम और कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देती हैं। उन्होंने राजनीति को एक नई दिशा दी और युवाओं को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।”
शंखनाद साहित्यिक मंडली के महासचिव राकेश बिहारी शर्मा ने कहा, “अटल बिहारी वाजपेयी न केवल राजनीति के अद्वितीय खिलाड़ी थे, बल्कि एक सशक्त कवि भी थे। उनकी कविताओं में जीवन संघर्ष, उम्मीद और दृढ़ता का दर्शन होता है। उनकी कविता की पंक्तियाँ, ‘हार नहीं मानूँगा, रार नहीं ठानूँगा, काल के कपाल पर लिखता-मिटाता हूँ, गीत नया गाता हूँ,’ हर व्यक्ति को निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।”
कार्यक्रम के संचालनकर्ता शिक्षक अजय कुमार ने कहा, “अटल बिहारी वाजपेयी आज भले ही भौतिक रूप से हमारे बीच न हों, लेकिन उनके विचार और योगदान हमें सदैव प्रेरणा देते रहेंगे। उनका नेतृत्व भारत के राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पुनरुत्थान का प्रतीक था। उनके आदर्श हर नागरिक के लिए प्रेरणादायक हैं।”
कार्यक्रम के अध्यक्ष जिला शिक्षा पदाधिकारी राजकुमार ने अपने उद्बोधन में कहा, “अटल बिहारी वाजपेयी संयमी, कर्मयोगी, ईमानदार और राष्ट्रवादी व्यक्तित्व के धनी थे। वे सबको साथ लेकर चलने में विश्वास रखते थे। उनके विरोधी भी उनका सम्मान करते थे। उनका नेतृत्व और संवाद कौशल आज की राजनीति के लिए एक उदाहरण है।”
अपर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, समग्र शिक्षा, श्याम नंदन झा ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए कहा, “अटल बिहारी वाजपेयी एक ओजस्वी वक्ता, संवेदनशील कवि, दूरदर्शी विचारक और सरल व्यक्तित्व के धनी थे। उनके नेतृत्व ने भारत को वैश्विक मंच पर सशक्त पहचान दिलाई। उनकी कविताएँ और विचार आज भी लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।”

संगोष्ठी में कई कवियों और साहित्यकारों ने अटल जी को अपनी कविताओं के माध्यम से श्रद्धांजलि दी।
कवि कामेश्वर प्रसाद ने अपनी कविता “कौन कहता प्रेम करना पाप है, इस धरा पर प्रेम ही वरदान है।” प्रस्तुत कर अटल जी के विचारों और जीवन को सम्मानित किया।
आफताब हसन शम्श ने अपनी रचना, “तू सलामत रहे मेरे प्यारे वतन, नाज़ करते हैं तुझ पर निगारे वतन,” के माध्यम से वतनपरस्ती का भाव व्यक्त किया।
कवयित्री डॉ. रेखा सिन्हा ने अपनी कविता, “बड़ी प्रतिष्ठा की ज्वाला थी, शत्रु कारगिल पर चढ़ आए, लेकिन अटल की चेतना ने शत्रु के छक्के छुड़ाए,” प्रस्तुत कर अटल जी के साहस और नेतृत्व को नमन किया।
कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में बड़ी पहाड़ी उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक दिग्विजय नारायण, भाई सरदार वीर सिंह, आदित्य तिवारी, अरशद रज़ा, शकील अहमद अंसारी, सुभाष चंद्र पासवान, उमाशंकर प्रसाद, और रणजीत कुमार पासवान समेत सैकड़ों साहित्यप्रेमी शामिल थे।
सभी वक्ताओं ने अटल जी के बहुमुखी व्यक्तित्व और उनके योगदान को याद करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
