सौरभ को मिला प्रधानमंत्री वीर बाल पुरस्कार: राष्ट्रपति ने किया सम्मानित, 3 बच्चियों को डूबने से बचाया था; पिता करते हैं मजदूरी

शेखपुरा : शेखपुरा जिले के किशनपुर गांव के रहने वाले 10 वर्षीय सौरभ कुमार को प्रधानमंत्री वीर बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार को दिल्ली में सौरभ को यह पुरस्कार प्रदान किया। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सौरभ से मुलाकात की और उनकी बहादुरी की सराहना की।

अगस्त 2024 में बचाई थीं 3 बच्चियों की जान
अगस्त 2024 में सौरभ ने अपने गांव के तालाब में डूब रही 4 बच्चियों को देखा। बिना अपनी जान की परवाह किए, सौरभ ने तालाब में कूदकर 3 बच्चियों को बचा लिया। हालांकि, एक बच्ची को नहीं बचाया जा सका। उनकी इस अद्भुत बहादुरी के लिए उन्हें यह सम्मान दिया गया।
साधारण परिवार से आते हैं सौरभ
सौरभ बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता पिंटू रावत मजदूरी करते हैं और माता रेखा देवी गृहिणी हैं। परिवार आज भी टूटे-फूटे कच्चे मकान में रहता है, जिसमें न तो पक्की दीवारें हैं और न ही दरवाजा। घर में एकमात्र कमरा है, जिसमें धूप तक नहीं पहुंचती। सौरभ 5 भाइयों में तीसरे नंबर पर हैं।

प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिला
सौरभ की मां अभी भी मिट्टी के चूल्हे पर लकड़ी जलाकर खाना बनाती हैं। सरकार की प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें अब तक पक्का मकान नहीं मिला है। हालांकि, स्थानीय सरकारी स्कूल ने सौरभ की पढ़ाई का खर्च उठाने की जिम्मेदारी ली है, ताकि वह बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सके।
परिवार की दयनीय स्थिति, सरकार से मदद की उम्मीद
सौरभ के चाचा जितेंद्र रावत और चाची बेबी देवी ने सौरभ की उपलब्धि पर खुशी जताई, लेकिन परिवार की दयनीय स्थिति को लेकर चिंता भी व्यक्त की। उनका कहना है कि वर्षों से संघर्ष कर रहे परिवार को सरकार की तरफ से कोई ठोस मदद नहीं मिली है।

2023 में ली थी स्विमिंग की ट्रेनिंग
2023 में जिला आपदा प्रबंधन कार्यालय, शेखपुरा द्वारा सुरक्षित तैराकी कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसमें 6 से 18 साल तक के 300-300 बच्चों को तैराकी का प्रशिक्षण दिया गया था। सौरभ ने भी इसी कार्यक्रम के तहत तैराकी की ट्रेनिंग ली थी।
बहादुरी के लिए मिला कई बार सम्मान
सौरभ की बहादुरी की खबर सामने आने के बाद 10 अगस्त 2024 को जिला बाल संरक्षण इकाई के सामाजिक कार्यकर्ता श्रीनिवास ने उन्हें कार्यालय बुलाकर सम्मानित किया था। इसके बाद, उनके नाम की अनुशंसा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय वीर बाल पुरस्कार के लिए की गई। स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) पर भी सौरभ को सम्मानित किया गया था।
सौरभ की कहानी न केवल बहादुरी, बल्कि संघर्ष और दृढ़ता की मिसाल है। उनके साहस को देशभर में सराहा जा रहा है।
