मत्स्य पालकों ने मोहनपुर हैचरी में लिया मत्स्य पालन का विशेष प्रशिक्षण

नालंदा : जहानाबाद के मत्स्य विकास पदाधिकारी संतोष कुमार के नेतृत्व में सोमवार को 120 मत्स्य पालक किसानों का दल “भ्रमण-दर्शन योजना” के तहत मोहनपुर मत्स्य हैचरी पहुंचा। यहाँ उन्होंने मत्स्य पालन तकनीक, मत्स्य बीज उत्पादन, मछलियों का रखरखाव, तालाब एवं नर्सरी की तैयारी, हैचरी प्रबंधन और कम जगह व कम लागत में अधिक उत्पादन के तरीकों की जानकारी ली।
इस अवसर पर मोहनपुर मत्स्य हैचरी के संचालक सह बिहार राज्य मत्स्यजीवी सहयोग समिति लिमिटेड के निदेशक शिवनंदन प्रसाद उर्फ शिव जी ने कहा—
“मत्स्य पालन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। जिस प्रकार कृषि में पौधों की वृद्धि के लिए जैविक एवं रासायनिक खाद का प्रयोग किया जाता है, उसी प्रकार अधिक मत्स्य उत्पादन के लिए तालाब में समय-समय पर उचित मात्रा में खाद का प्रयोग आवश्यक है।”

उन्होंने बताया कि मत्स्य पालन के लिए तालाब का पानी pH 7.5 होना चाहिए। पानी की गुणवत्ता सही न होने पर मछलियों की वृद्धि प्रभावित होती है। इसके समाधान के लिए प्रति एकड़ 40–50 किलोग्राम चुना का घोल बनाकर तालाब में छिड़काव करना चाहिए।
इस मौके पर मत्स्य विकास पदाधिकारी संतोष कुमार ने कहा—
“सिर्फ खाद डालकर अधिक उत्पादन संभव नहीं है। गहन मत्स्य पालन में कई किस्म की मछलियां एक साथ पाली जाती हैं। कम समय और कम लागत में अधिक उत्पादन के लिए मछलियों को बाहर से भी संतुलित भोजन दिया जाना चाहिए।”
उन्होंने कृत्रिम आहार में सरसों एवं बादाम की खली, गेहूं का चोकर, चावल का ब्राउन, तथा बाजार से उपलब्ध तैयार मछली आहार के उपयोग की सलाह दी। साथ ही बताया कि मछली के बीज के वजन का 5% भोजन प्रतिदिन देने से अच्छी वृद्धि होती है। सही ढंग से भोजन देने पर एक एकड़ तालाब से 2,000–2,500 किलोग्राम तक मछली का उत्पादन संभव है।
भ्रमण के दौरान 80 महिला और 40 पुरुष मत्स्य पालक किसानों ने हैचरी की कार्यप्रणाली को बारीकी से देखा और सीखा।
उपस्थित प्रमुख मत्स्य पालकों में—राजीव कुमार बिंद, रोशन कुमार, बैजू केवट, चंदन केवट, कृष्ण बिंद, गुड्डू बिंद, किरण देवी, सुनीता देवी, सरोज देवी, गौरी देवी, लीला देवी समेत कई अन्य शामिल थे।