बिहार बंद का नालंदा में दिखा व्यापक असर: सड़कें सुनसान, बाजार बंद, चक्का जाम और विरोध प्रदर्शनों से जनजीवन प्रभावित

नालंदा (बिहार) : मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम के विरोध में महागठबंधन द्वारा बुलाए गए बिहार बंद का व्यापक असर बुधवार को नालंदा जिले में भी देखने को मिला। बंद के समर्थन में राजद, कांग्रेस, भाकपा, माले सहित अन्य विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं ने सुबह से ही सड़कों पर उतरकर बाजारों को बंद कराया और चक्का जाम कर यातायात व्यवस्था को बाधित कर दिया।

बिहारशरीफ मुख्यालय स्थित अस्पताल चौक, शिवपुरी और अन्य प्रमुख मार्गों पर कार्यकर्ताओं ने बैनर, पोस्टर और पार्टी के झंडे के साथ प्रदर्शन किया। अस्पताल चौक पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के अधिवक्ता शिवकुमार यादव की अगुवाई में महागठबंधन के कार्यकर्ताओं ने सड़क जाम कर यातायात को पूरी तरह ठप कर दिया। बाजार में घूम-घूम कर दुकानों को बंद कराया गया, हालांकि अधिकतर दुकानें स्वतः ही बंद रहीं।
राजद के वरिष्ठ नेता अनिल कुमार अकेला ने कहा कि “केंद्र और राज्य सरकार चुनाव आयोग के साथ मिलकर गहरी साजिश के तहत विशेष गहन पुनरीक्षण करवा रही है ताकि गरीब, दलित, अल्पसंख्यक और युवा मतदाताओं को सूची से बाहर कर लोकतंत्र की हत्या की जा सके।”

वहीं राजद के पूर्व विधायक प्रत्याशी सुनील साव ने कहा, “वोट से वंचित कर गरीब, दलित, अल्पसंख्यक और युवा मतदाताओं को सूची से बाहर कर लोकतंत्र की हत्या की जा रही।”
प्रखंड स्तर पर भी आंदोलन तेज
नालंदा के सभी 20 प्रखंड मुख्यालयों में भी महागठबंधन के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। बिंद प्रखंड के बिहटा–सरमेरा टू लेन पर स्थित बिंद चौक के पास टायर जलाकर घंटों सड़क को जाम रखा गया। इससे चारों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई। वहीं एनएच-20 पर हरनौत से गिरियक तक जगह-जगह प्रदर्शन हुआ जिससे आमजन को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

एकंगरसराय प्रखंड में राजद के इस्लामपुर विधायक राकेश कुमार रोशन के अगुवाई में एकंगरसराय चौराहे पर महागठबंधन के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर यातायात को पूरी तरह से ठप कर दिया और पूरे बाजार में प्रदर्शन किया गया।
रेल सेवा पर नहीं पड़ा असर
हालांकि बंद का असर ट्रेनों की आवाजाही पर नहीं दिखा। सभी ट्रेनें अपने निर्धारित समय पर चलती रहीं और गंतव्य के लिए रवाना होती रहीं।
प्रशासन रहा सतर्क
बिहार बंद को लेकर प्रशासन पूरी तरह अलर्ट रहा। चौराहों और संवेदनशील इलाकों में भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई थी। प्रदर्शनकारियों पर पैनी नजर रखी जा रही थी ताकि कहीं भी हालात बिगड़ने न पाएं।

बस स्टैंड समेत अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भी सन्नाटा पसरा रहा। अधिकांश यात्री वाहन स्टैंड में खड़े रहे या फिर अपने स्थानों से नहीं चले। बिहार बंद के दौरान जिले में कहीं से भी किसी बड़े उपद्रव या हिंसा की सूचना नहीं है, लेकिन बंद के कारण आमजन को खासी असुविधा का सामना करना पड़ा।