बीपीएससी शिक्षक परीक्षा में सफलता: साहिल सिंह टायरनी के चयन से परिवार और समाज में खुशी की लहर

नालंदा : बिहारशरीफ के पटेल नगर, डीएम आवास के पीछे रहने वाले साहिल सिंह टायरनी, पिता नाथून राउत, की बीपीएससी ट्रे थ्री शिक्षक भर्ती परीक्षा में अंग्रेजी शिक्षक के रूप में चयन होने पर पूरे परिवार और क्षेत्र में हर्षोल्लास का माहौल है। इस अवसर पर लोकतांत्रिक जन विकास पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अमोद कुमार उनके आवास पर पहुंचे और उन्हें माला पहनाकर तथा मिठाई खिलाकर बधाई दी।
सफलता के पीछे परिवार और मेहनत का योगदान
अपनी सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए साहिल सिंह टायरनी ने कहा कि मैं इस सफलता को पाकर अत्यंत खुश और आभारी हूँ। मैंने वर्ष 2024 में तीन परीक्षाएँ दी थीं:
- बिहार पुलिस भर्ती परीक्षा – मैंने प्रारंभिक परीक्षा (P.T.) उत्तीर्ण की, लेकिन शारीरिक परीक्षा (Physical) में सम्मिलित नहीं हो सका, क्योंकि तब तक मेरा चयन BPSC TRE-3 में अंग्रेजी शिक्षक के रूप में हो चुका था।
- EMRS परीक्षा – इस परीक्षा में भी मेरा नाम वेटिंग लिस्ट में आ गया।
इस सफलता के लिए मैं अपने माता-पिता, भाई-बहन और सहयोगियों का दिल से आभार व्यक्त करता हूँ। इस संघर्ष में मेरे परिवार ने मुझे हर कदम पर सहयोग दिया।
इसके अलावा, मैं S.S.T.C. कोचिंग भी संचालित करता हूँ, जहाँ मैं अंग्रेजी सहित अन्य विषयों की शिक्षा प्रदान करता हूँ।

समाज में हर्षोल्लास, उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ
प्रदेश प्रवक्ता अमोद कुमार ने इस अवसर पर कहा कि साहिल सिंह टायरनी की सफलता न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे जिले और मोहल्ले के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने गुलदस्ता भेंट कर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
परिवार की प्रतिक्रिया: माता-पिता की खुशी
साहिल सिंह के पिता ने कहा, “जिस तरह मैंने बच्चों को शिक्षित कर काबिल बनाया, उसी तरह मेरी इच्छा है कि साहिल भी अपने छात्रों को बेहतरीन शिक्षा प्रदान करें।” उनकी माता ने भी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह सभी बच्चों के लिए प्रेरणा है और उन्होंने उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ दीं।

समाज में उत्साह और प्रेरणा
साहिल सिंह टायरनी की इस सफलता से क्षेत्र के युवाओं में भी एक नई प्रेरणा जागी है। उनकी इस उपलब्धि से समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता और सम्मान की भावना और अधिक मजबूत हुई है।
प्रेरणादायक विचार:
- “बिना एकाग्रचित्त मन के कोई महान कार्य नहीं किया जा सकता।”
- “निरंतर अभ्यास न करने पर ज्ञान भी विष के समान हो जाता है।”
