भगवान बुद्ध की प्रतिमा के साथ होली: नालंदा की अनूठी परंपरा

नालंदा जिले के तेतरावां गांव में दशकों से चली आ रही एक अनूठी परंपरा के तहत भगवान बुद्ध की प्रतिमा के साथ होली मनाई जाती है। यह गांव बिहारशरीफ से दस किलोमीटर दूर स्थित है। इस परंपरा में पाल कालीन काले पत्थर की भूमि स्पर्श मुद्रा में विराजमान बुद्ध प्रतिमा को सफेद चादर ओढ़ाकर रंग-गुलाल लगाया जाता है और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।
परंपरा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
गांव के वरिष्ठ निवासी राजीव रंजन बताते हैं कि यह परंपरा उतनी ही प्राचीन है जितनी यह प्रतिमा। पीढ़ियों से चली आ रही यह परंपरा धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। होली के दिन यहां भजन-कीर्तन का आयोजन होता है, और ग्रामीण भगवान बुद्ध की प्रतिमा पर रंग-गुलाल लगाकर उत्सव का समापन करते हैं।
छठ पर्व में भी अनूठी परंपरा
सिर्फ होली ही नहीं, बल्कि छठ पर्व के दौरान भी इस प्रतिमा को विशेष महत्व दिया जाता है। सूर्य को अर्ध्य देने के पश्चात बुद्ध प्रतिमा को भी अर्ध्य दिया जाता है। इसके अलावा, शुभ कार्यों की शुरुआत प्रतिमा की साफ-सफाई कर, मीठे रवे और घी का लेप लगाकर की जाती है। हालांकि, इस ऐतिहासिक धरोहर को अब तक पुरातत्व विभाग का संरक्षण प्राप्त नहीं हुआ है।
विकास कार्य अधूरा
राजीव रंजन ने बताया कि 2013 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दौरे के दौरान इस स्थल को पर्यटन स्थल घोषित किया गया था। इसके तहत एक भवन निर्माण की योजना बनी, लेकिन पर्यटन विभाग की उदासीनता के कारण यह कार्य अधूरा रह गया।
ऐतिहासिक महत्व और संरक्षण की मांग
स्थानीय जानकारी के अनुसार, अंग्रेजों ने इस मूर्ति की तस्करी करने की कोशिश की थी, लेकिन विशालकाय प्रतिमा होने के कारण वे असफल रहे। विदेशी पर्यटक भी इस प्रतिमा के दर्शन के लिए आते हैं। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि इस स्थल को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाए और सरकार इसके संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाए।
