राजगीर में निजी विद्यालयों का 8वां समागम: शिक्षा के माध्यम से चरित्र निर्माण और गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई पर जोर

रजनीश नालंदा : राजगीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में रविवार को भारतीय स्वतंत्र शिक्षण संघ द्वारा निजी विद्यालयों का 8वां समागम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन जदयू के राष्ट्रीय महासचिव मनीष कुमार वर्मा, आर्यावर्त सहोदया सीबीएसई के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. सी.बी. सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष भारत मानस, प्रदेश अध्यक्ष भूषण शर्मा और जिला अध्यक्ष डॉ. शिव कुमार प्रसाद सिन्हा ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जदयू के राष्ट्रीय महासचिव मनीष कुमार वर्मा ने कहा कि समस्याएं जीवन का हिस्सा हैं और उनका समाधान भी संभव है। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल रटने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसका उद्देश्य चरित्र निर्माण होना चाहिए। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से ही बेहतर समाज और विकसित देश का निर्माण संभव है। उन्होंने निजी विद्यालय संचालकों को संबोधित करते हुए कहा कि जब आप गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करेंगे, तो बच्चे स्वतः ही आपके पास आएंगे।

उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य और देश का विकास शिक्षा के बिना संभव नहीं है। हमारे देश में 58 प्रतिशत युवा आबादी है और इसे शिक्षित बनाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि बिहार के विकास के लिए शिक्षा का विशेष महत्व है। राष्ट्रीय आंकड़ों के अनुसार, बिहार अब भी शिक्षा के क्षेत्र में पीछे है। 2001 में राज्य की साक्षरता दर 31 प्रतिशत थी, जो अब 50 प्रतिशत तक पहुंची है।
मनीष कुमार वर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का लक्ष्य है कि बिहार पूरी तरह से शिक्षित राज्य बने। इस दिशा में सरकार ने कई कदम उठाए हैं, लेकिन समाज की भी जिम्मेदारी है कि वह शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दे। उन्होंने शिक्षा के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पहले केवल राजा-महाराजाओं के बच्चे ही शिक्षा प्राप्त कर सकते थे, लेकिन बौद्धिक क्रांति के बाद शिक्षा का प्रसार हुआ।
उन्होंने नालंदा को ज्ञान की भूमि बताते हुए कहा कि यह क्षेत्र पूरी दुनिया को शिक्षा का मार्ग दिखाने वाला रहा है। उन्होंने अपनी निजी शिक्षा का उदाहरण देते हुए कहा कि वह भी एक निजी विद्यालय के छात्र रह चुके हैं। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे अपने बच्चों को न केवल शिक्षित करें, बल्कि उन्हें सृजनात्मक (क्रिएटिव) भी बनाएं, ताकि वे समाज और देश के विकास में योगदान दे सकें।
