कादीरगंज के चौरा गाँव में विशाल शिव शिष्य सम्मेलन

कादीरगंज (नवादा) के चौरा गाँव में एक भव्य शिव शिष्य सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस आयोजन में हज़ारों की संख्या में शिव शिष्य दूर-दराज़ के ग्रामीण इलाकों से उपस्थित हुए। कार्यक्रम में विशेष रूप से शिव शिष्य मनोज कुमार मंदु ने अपने प्रेरणादायक उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने शिव शिष्य परंपरा की महानता को समझाते हुए कहा कि शिव के शिष्य किसी एक धर्म, जाति, संप्रदाय या विशेष वर्ग तक सीमित नहीं हैं, बल्कि हर वह व्यक्ति, जो शिव के आदर्शों को अपनाना चाहता है, वह सहज रूप से शिव शिष्य बन सकता है।

शिव शिष्य होने के तीन प्रमुख सूत्र
इस कार्यक्रम में उपस्थित स्थानीय गुरु भाइयों और गुरु बहनों ने शिव शिष्य होने के तीन सूत्रों पर विशेष बल दिया। उन्होंने बताया कि शिव शिष्य बनने के लिए—
- सत्यनिष्ठा: जीवन में सत्य को अपनाना और किसी भी प्रकार की असत्यता से दूर रहना।
- निष्काम सेवा: किसी भी प्रकार की अपेक्षा किए बिना, निस्वार्थ भाव से समाज और मानवता की सेवा करना।
- शिव चेतना का अनुसरण: शिव के बताए गए मार्ग पर चलना और उनके विचारों को आत्मसात करना।
सृष्टि के हृदय में बसते हैं शिव
सम्पूर्ण साकार जगत के मूल शिव हैं। वे सृष्टि के आदि और अनादि स्रोत हैं, जिनसे यह सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड संचालित होता है। शिव न केवल एक देवता हैं, बल्कि समस्त सृष्टि के आधार हैं, जो सभी धर्मों, जातियों, वर्णों और सम्प्रदायों से परे हैं। शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए किसी विशेष पहचान या जातिगत बंधनों की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि शिव समदर्शी हैं और उनकी शरण में आने वाला हर व्यक्ति उनका शिष्य बनने की सहज पात्रता रखता है।

कार्यक्रम की सफलता में गुरु भाइयों की महत्वपूर्ण भूमिका
इस कार्यक्रम की सफलता के पीछे कई गुरु भाई और गुरु बहनों का अथक परिश्रम रहा। आयोजन को सफल बनाने में कपिलदेव जी , श्यामसुंदर जी , साजी जी, रंजय जी, विजय जी, शंभु जी, सतेंद्र जी, सोनू जी, बिच जी, सुधीर जी, खुधीर जी एवं अन्य गुरु भाई-बहनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इन सभी की निःस्वार्थ सेवा और समर्पण से यह कार्यक्रम अत्यंत सफल रहा।
इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि शिव शिष्य परंपरा केवल एक विचार नहीं, बल्कि एक व्यापक आध्यात्मिक आंदोलन है, जो संपूर्ण मानवता को जोड़ने का कार्य कर रहा है।
