श्रावण मास की पहली सोमवारी पर उमड़ा आस्था का सैलाब, राजगीर में भोलेनाथ के जयकारों से गूंजा वैभार गिरी पर्वत

राजगीर (नालंदा) : श्रावण मास की पहली सोमवारी पर राजगीर स्थित प्राचीन सोमनाथ सिद्धनाथ महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। प्रातःकाल से ही वैभार गिरी पर्वत की तलहटी पर हजारों श्रद्धालु जुटने लगे और बाबा भोलेनाथ के दर्शन-पूजन के लिए 531 सीढ़ियों की कठिन चढ़ाई तय करते हुए मंदिर तक पहुंचे।
देवघर के बाद राजगीर को बिहार का दूसरा सबसे बड़ा शिव तीर्थ माना जाता है, और श्रावण मास में यहां भक्तों की भीड़ देखते ही बनती है। श्रद्धालु गर्म जलकुंड में स्नान कर पवित्र जल लेकर बाबा का जलाभिषेक करने के लिए उत्साहपूर्वक पर्वत शिखर तक चढ़ते हैं।
महाभारत काल से जुड़ा है मंदिर का इतिहास
पंच पहाड़ियों में से एक वैभार गिरी पर स्थित यह प्राचीन शिव मंदिर ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाभारत काल में मगध सम्राट जरासंध के पिता राजा बृहद्रथ ने पुत्र प्राप्ति की कामना से इस स्थल पर शिवलिंग की स्थापना की थी। कहा जाता है कि सम्राट जरासंध स्वयं प्रतिदिन वैभार पर्वत स्थित भेलवाडोल तालाब में स्नान कर बाबा सोमनाथ की पूजा-अर्चना करते थे।

कठिन यात्रा, लेकिन अटूट आस्था
ब्रह्म कुंड परिसर से मंदिर तक की 531 सीढ़ियों की चढ़ाई भक्तों की श्रद्धा की परीक्षा लेती है, परंतु उनकी आस्था हर परीक्षा को पार कर जाती है। बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सभी इस कठिन मार्ग को पार कर बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए पूरे उत्साह से आगे बढ़ते हैं।
श्रद्धा बनाम सुविधाओं की कमी
जहां एक ओर श्रद्धालुओं की आस्था अडिग है, वहीं दूसरी ओर मंदिर की वर्तमान स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। स्थानीय नागरिक लंबे समय से मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग कर रहे हैं। श्रद्धालुओं की लगातार बढ़ती संख्या के बावजूद मंदिर परिसर में बुनियादी सुविधाओं की कमी देखी जा रही है।
पर्यटन की व्यापक संभावनाएं
राजगीर का यह स्थल धार्मिक और प्राकृतिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। वैभार गिरी की सुरम्य घाटियों, पुरातात्विक महत्व और धार्मिक मान्यताओं के चलते यहां धार्मिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। यदि सरकार और पर्यटन विभाग उचित ध्यान दें, तो यह मंदिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा आकर्षण बन सकता है।

प्रशासन ने की व्यवस्था
श्रावण की इस पावन सोमवारी को देखते हुए जिला प्रशासन ने विशेष सुरक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्थाएं की थीं। पर्वत की चढ़ाई के दौरान पानी की आपूर्ति, स्वास्थ्य केंद्र और पुलिस बल की तैनाती की गई थी, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
राजगीर की वैभार गिरी पर स्थित यह प्राचीन शिवधाम न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि ऐतिहासिक धरोहर और पर्यटन की दृष्टि से भी राज्य का गौरव है।
श्रावण मास की पहली सोमवारी को यहां उमड़ा जनसैलाब यह दर्शाता है कि आस्था आज भी हर कठिनाई पर भारी है।
