साइंस का सेलिब्रेशन! विद्यालय में शुरू हुआ विज्ञानोत्सव, छोटे वैज्ञानिकों ने थामा मॉडल्स का मोर्चा, 25 जुलाई से 2 अगस्त तक चलेगा विज्ञान सप्ताह

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नालंदा। श्रावण शुक्ल प्रतिपदा से श्रावण शुक्ल अष्टमी (25 जुलाई से 2 अगस्त 2025) तक चलने वाले विज्ञानोत्सव सप्ताह का आज विद्यालय परिसर में उत्साहपूर्वक शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत रसायनाचार्य अनिल द्विवेदी के मंच संचालन से हुई, जबकि अध्यक्षता प्रधानाचार्य अनंत सिन्हा ने की। कार्यक्रम में उप प्रधानाचार्य रामजी सिन्हा तथा गणित प्रमुख रमेश कुमार सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

प्रधानाचार्य श्री सिन्हा ने अपने उद्घाटन भाषण में विज्ञान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए छात्रों को प्रेरित किया कि वे विज्ञान को केवल एक विषय नहीं, बल्कि जीवन का हिस्सा बनाएं। उन्होंने सरल वैज्ञानिक प्रयोगों के माध्यम से न्यूटन के नियमों और गुरुत्वाकर्षण जैसे सिद्धांतों को रोचक ढंग से समझाया।

कार्यक्रम को भारतीय रसायन विज्ञान के जनक कहे जाने वाले डॉ. प्रफुल्ल चंद्र राय को समर्पित किया गया है। उल्लेखनीय है कि उनका जन्म 2 अगस्त 1861 को बंगाल प्रेसीडेंसी (अब बांग्लादेश) के रारुली-काटीपुरा गांव में हुआ था। वे भारत की पहली रसायन कंपनी बंगाल केमिकल एंड फार्मास्युटिकल वर्क्स लिमिटेड के संस्थापक थे और उन्होंने रसायन शास्त्र में अद्वितीय योगदान दिया।

उप प्रधानाचार्य रामजी सिन्हा ने अपने संबोधन में छात्रों को घरेलू वस्तुओं और आसपास के वातावरण से विज्ञान सीखने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा, “सीखने की सबसे बड़ी प्रयोगशाला आपका घर और परिवेश है।”

रसायनाचार्य अनिल द्विवेदी ने विभिन्न वैज्ञानिकों की जीवनियाँ साझा करते हुए छात्रों से आग्रह किया कि वे विज्ञान सप्ताह के दौरान वैज्ञानिकों पर आधारित परियोजनाओं पर कार्य करें।

कार्यक्रम के दौरान ओंकार आचार्य, प्रद्युम्न पांडे, प्रशांत कुमार सहित अन्य शिक्षकगण भी उपस्थित रहे। सप्ताहभर चलने वाले इस आयोजन में विज्ञान मॉडल, प्रयोग, वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी, पोस्टर निर्माण और प्रेजेंटेशन जैसे विविध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

छात्रों को अनिवार्य रूप से कम-से-कम एक गतिविधि में भाग लेने का निर्देश दिया गया है, जबकि वरिष्ठ छात्रों को कनिष्ठों का मार्गदर्शन करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

विद्यालय प्रशासन का उद्देश्य छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना और डॉ. प्रफुल्ल चंद्र राय जैसे वैज्ञानिकों से प्रेरणा दिलाना है।

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