बिहार के उत्पादों को जीआई टैग मिलने पर सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने बनाई अनोखी कलाकृति

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पटना: नए वर्ष 2025 के स्वागत के साथ ही राजधानी पटना के गांधी मैदान में 3 जनवरी से शुरू हुए तीन दिवसीय बिहार बागवानी महोत्सव में सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र कुमार की अनूठी रेत कलाकृति ने सबका ध्यान आकर्षित किया। मधुरेंद्र ने 12 घंटे की कठिन मेहनत से 6 फीट ऊंची रेत की कलाकृति तैयार की, जिसमें बिहार के धरोहर उत्पाद मिथिला मखाना, मगही पान, भागलपुरी जर्दालू आम, शाही लीची और मधुमक्खी पालन जैसे उत्पादों को जीआई टैग मिलने की उपलब्धि को रेखांकित किया।

कलाकृति बनी आकर्षण का केंद्र

मधुरेंद्र कुमार की इस कलाकृति ने महोत्सव में आए किसानों और आगंतुकों का ध्यान खींचा। उनकी कला न केवल बिहार के उत्पादों की विशिष्टता को उजागर करती है, बल्कि किसानों की खुशी और गर्व का प्रतीक भी बनी। आगंतुक इस रेत कला के साथ सेल्फी लेने और इसे सराहने में व्यस्त नजर आए।

कृषि मंत्री और अधिकारियों ने की सराहना

महोत्सव में मौजूद कृषि मंत्री मंगल पांडेय, कृषि विभाग के सचिव संजय अग्रवाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने मधुरेंद्र की कलाकृति की सराहना करते हुए उन्हें बधाई दी। हजारों किसानों और आम नागरिकों ने भी उनकी कला को सराहा।

मधुरेंद्र का बिहार के लिए संदेश

मधुरेंद्र कुमार ने अपनी कलाकृति के जरिए बिहार के किसानों और कृषि उत्पादों को वैश्विक पहचान मिलने की खुशी जाहिर की। उन्होंने कृषि विभाग के उद्यान निदेशालय को इस उपलब्धि के लिए बधाई देते हुए अपने प्रशंसकों को नववर्ष की शुभकामनाएं दीं।

सैंड आर्टिस्ट का योगदान

मधुरेंद्र कुमार अपनी रेत कला के जरिए महत्वपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक संदेश देते रहते हैं। उनकी कला ने न केवल राज्य बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी बिहार की पहचान को मजबूत किया है।

बागवानी महोत्सव में कलाकृति की झलक

यह कलाकृति महोत्सव में एक प्रेरणा का स्रोत बनी, जो यह दर्शाती है कि कैसे परंपरा और आधुनिकता का मेल बिहार को एक नई ऊंचाई पर ले जा सकता है।

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