जोरारपुर में कचरा डंपिंग को लेकर ग्रामीणों का विरोध, अंचलाधिकारी ने किया निरीक्षण, कचरा हटाने का दिया आदेश

हरनौत (नालंदा) : हरनौत नगर पंचायत द्वारा जोरारपुर गांव के पास कचरा डंप करने को लेकर इलाके में जबरदस्त आक्रोश है। ग्रामीणों के विरोध के बाद अंचलाधिकारी सोनू कुमार ने शनिवार को डंपिंग स्थल का निरीक्षण किया और तत्काल प्रभाव से कचरा गिराने पर रोक लगाने का आदेश दिया।
गांवों का जीना हुआ दूभर
जोरारपुर गांव के समीप नदी और मुख्य सड़क के बीच भारी मात्रा में घरेलू और अस्पताल का कचरा डंप किया जा रहा है, जिससे आसपास के सात गांव – जोरारपुर, महेशपुर, दैली, किचनी, मुशहरी, बिरमपुर और बेलदारी – के हजारों लोग बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि इस गंदगी से जल, जमीन और जीवन तीनों प्रभावित हो रहे हैं। यहां तक कि हैजा और डायरिया जैसी बीमारियां फैल रही हैं।
अस्पताल का कचरा बना जानलेवा
स्थानीय लोगों के अनुसार नगर क्षेत्र के लगभग 40 नर्सिंग होम से प्रतिदिन करीब 200 किलो हॉस्पिटल वेस्ट – जिसमें ऑपरेशन के अंग, खून, पट्टियां, सिरिंच, प्लास्टर, सलाइन सेट और मृत पशु – सब बिना किसी ट्रीटमेंट के इसी जगह फेंका जा रहा है। इसके चलते न सिर्फ बदबू से लोगों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है, बल्कि जानवरों और बच्चों के लिए खतरा भी बढ़ गया है।
नदी, भूजल और पर्यावरण पर सीधा असर
ग्रामीणों ने बताया कि जिस स्थान पर कचरा डंप किया जा रहा है, वह नदी से महज 5–7 फीट ऊपर है। बारिश होते ही सारा कचरा नदी में मिल जाता है, जिससे जल प्रदूषित हो रहा है और भुजल भी दूषित हो रहा है। यह पानी आगे जाकर अन्य गांवों तक भी पहुंचता है, जिससे वहां के लोगों की सेहत पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
छठ घाट बना कचरा स्थल, आस्था को ठेस
स्थानीय लोगों ने बताया कि इसी स्थान पर पहले छठ पूजा का आयोजन होता था, लेकिन अब यहां सड़े-गले मरे पशु, मेडिकल वेस्ट और अन्य गंदगी जमा होने से आस्था स्थल गंदगी का अड्डा बन चुका है। अवारा कुत्ते और सियारों का डेरा लग गया है, जो राहगीरों को दौड़ाते हैं। स्कूल बसें और वाहन भी यहां नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिससे बच्चों को भारी दिक्कत हो रही है।
प्रशासन से लगाई गुहार
पूर्व सरपंच संध्या देवी, समाजसेवी योगेंद्र सिंह, हरित हरनौत संस्था की आस्था प्रकृति समेत अन्य ग्रामीणों ने जिलाधिकारी, विधायक, सांसद, मुख्यमंत्री और राज्यपाल को मेल व आवेदन के माध्यम से कचरा हटाने की मांग की है।
क्या बोले अंचलाधिकारी
निरीक्षण के बाद अंचलाधिकारी सोनू कुमार ने कहा कि “कचरा नदी और सड़क के किनारे डालना दुर्भाग्यपूर्ण है। यहां इस प्रकार से मेडिकल वेस्ट डंपिंग की कल्पना भी नहीं की गई थी। यह लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए बेहद खतरनाक है। फिलहाल तत्काल प्रभाव से कचरा गिराने पर रोक लगा दी गई है।”
अब उम्मीद प्रशासन से
ग्रामीणों ने सरकार और जिला प्रशासन से तत्काल ठोस कदम उठाने और स्थायी समाधान की मांग की है, ताकि इलाके की स्वास्थ्य सुरक्षा, जलस्रोत और खेती बचाई जा सके।