गुप्तचर विभाग ने आतंकवाद के अहंकार को तोड़ दिया : मोरारी बापू

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राजगीर (नालंदा) : राजगीर में चल रहे ‘मानस नालंदा विश्वविद्यालय’ कथा कार्यक्रम के तीसरे दिन सोमवार को प्रसिद्ध कथा वाचक मोरारी बापू ने ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए भारतीय खुफिया एजेंसियों की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि “देश के इंटेलिजेंस विभाग ने आतंकवादस्तान के अहंकार को चकनाचूर कर दिया है।”

उन्होंने आगे कहा, “अहंकारी व्यक्ति अगर आत्मस्वीकृति कर ले, तो वह ‘ओंकारी’ बन जाता है। यह अभियान देश की सुरक्षा और आत्मगौरव का प्रतीक है।”

रामकथा से जोड़ा राष्ट्र और आत्मा का संदेश

बापू ने रामकथा के माध्यम से आत्मा की पवित्रता का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि “तन, मन, बुद्धि और चित्त अपवित्र हो सकते हैं, लेकिन आत्मा सदा शुद्ध रहती है।” उन्होंने संत की तुलना भुने हुए चने से की और कहा कि “एक सच्चा संत काम-क्रोध, राग-द्वेष से परे होता है।”

नालंदा विश्वविद्यालय की ऐतिहासिक गरिमा का स्मरण

प्रवचन की शुरुआत में मोरारी बापू ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की विद्वत्ता का स्मरण किया और कहा, “आज की यूनिवर्सिटी में नाम है, लेकिन तब ज्ञान का स्तर था।” उन्होंने कहा कि “आज के शिक्षा संस्थानों को अतीत से सीख लेने की ज़रूरत है।”

रामकथा की परंपरा का किया विस्तार से वर्णन

बापू ने बताया कि रामकथा की परंपरा शिवजी से प्रारंभ हुई और काकभुशुंडी, गरुड़, याज्ञवल्क्य होते हुए तुलसीदास तक पहुंची। उन्होंने कथा के माध्यम से चार कथाकारों के ‘कंठ’ नाम भी बताए – शिव ‘नीलकंठ’, काकभुशुंडी ‘शीलकंठ’, याज्ञवल्क्य ‘विवेककंठ’ और तुलसीदास ‘गुरुकंठ’।

‘नालंदा’ नहीं, इसे कहें ‘आनंदा विश्वविद्यालय’: बापू का सुझाव

बापू ने कार्यक्रम स्थल को ‘नालंदा विश्वविद्यालय’ की बजाय ‘आनंदा विश्वविद्यालय’ कहे जाने का सुझाव देते हुए कहा कि “यहां केवल ज्ञान नहीं, आनंद की भी वर्षा हो रही है। कथा में सत्य, चित्त और आनंद तीनों समाहित हैं।”

हजारों श्रद्धालु कर रहे हैं कथा श्रवण

तीसरे दिन की कथा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु राजगीर पहुंचे और मोरारी बापू के प्रवचन का लाभ उठाया। कथा के दौरान माहौल भक्तिमय और आत्मिक अनुभूति से भर गया।

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