विवेकानंद क्लासेस के छात्रों ने सैनिक स्कूल परीक्षा में रचा इतिहास, परिसर में जश्न का माहौल

बिहारशरीफ (नालंदा) — कचहरी रोड स्थित विवेकानंद क्लासेस के विद्यार्थियों ने सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा में शानदार सफलता प्राप्त कर एक बार फिर अपने संस्थान और परिवार का नाम रोशन किया है। हाल ही में घोषित परीक्षा परिणाम में संस्थान के कुल 112 छात्रों ने भाग लिया था, और सभी ने सफलता प्राप्त कर 100% परिणाम दर्ज किया है।

इस उल्लेखनीय प्रदर्शन में सबसे खास नाम रितिक राज और हिमांशु कुमार वर्मा का रहा, जिन्होंने 300 में से 290 अंक अर्जित कर कीर्तिमान स्थापित किया है। इनके साथ-साथ अन्य कई छात्रों ने भी उच्च अंक प्राप्त कर मेरिट सूची में स्थान बनाया है। इनमें नीरज ने 283, रोहित कुमार ने 282, सर्वेश सिसोदिया ने 280, अनंत सिंह ने 275, शुभम कुमार ने 273, पृथ्वी हिन्द ने 272, लीला जया ने 269 और आदित्य रागिनी ने 267 अंक प्राप्त किए हैं।
कुल 45 छात्र ऐसे रहे, जिन्होंने 260 से 290 अंक प्राप्त कर उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। परिणाम आने के बाद संस्थान में जश्न का माहौल देखने को मिला। शिक्षकगण, अभिभावक और छात्र एक-दूसरे को बधाई देते नजर आए।
संस्थान में उत्सव जैसा माहौल
परिणाम घोषित होते ही कचहरी रोड स्थित विवेकानंद क्लासेस के परिसर में उत्सव जैसा माहौल बन गया। शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों ने मिलकर इस उपलब्धि का जश्न मनाया। बच्चों ने अपनी सफलता का श्रेय शिक्षकों के मार्गदर्शन, माता-पिता के सहयोग और अपनी निरंतर मेहनत को दिया।

इस अवसर पर विवेकानंद क्लासेस के निर्देशक संजीव कुमार और उप-निर्देशक राजेश कुमार ने सफल छात्रों को मिठाई खिलाकर शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि यह सफलता छात्रों की मेहनत, लगन, शिक्षकों के अनुभव और समर्पित शिक्षण प्रणाली का परिणाम है।
उन्होंने आगे कहा, “मैं सभी सफल छात्रों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं देता हूँ और आने वाली पीढ़ी से अपील करता हूँ कि वे इन छात्रों से प्रेरणा लें, कठिन परिश्रम करें और अपने माता-पिता व संस्थान को गौरवान्वित करें।”

नालंदा में बढ़ी संस्थान की प्रतिष्ठा
इस शानदार प्रदर्शन के साथ ही विवेकानंद क्लासेस की पहचान केवल एक शिक्षण संस्थान के रूप में नहीं, बल्कि सफलता की सीढ़ी के रूप में स्थापित हो गई है। सैनिक स्कूल जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में प्रवेश पाना न केवल छात्रों के व्यक्तिगत जीवन में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह पूरे समाज को यह संदेश देता है कि समर्पण, अनुशासन और उत्कृष्ट शिक्षा के माध्यम से कोई भी ऊंचाई प्राप्त की जा सकती है।